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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संपादकीय श्रुतसागरनो ३२मो अंक आपना हाथमां छे. पू. गुरुभगवंतना जन्मदिवसे प्रकाशित थवानो अवसर आ अंकने मळ्यो छे. ए बदल अमने सहुने खूब आनंद छे. गुरुपूर्णिमानुं पर्व भले अषाढनी पूनमना आवे पण गुरुऋणमुक्तिनुं पर्व तो आ ज दिवसे आवतुं होय छे. एवी भावनाथी ज गुरुऋणमुक्तिना अवसरे कैलास श्रुतसागर ग्रंथसूचिनो १६मो भाग, विश्वकल्याण प्रकाशनना ६ पुस्तको, अने श्रुतसागर विशेषांक प्रकाशित करीए छीए. * दीवो नथी, पण ज्योति छे. * पुष्प नथी, पण सौरभ छे. * सूर्य नथी, पण तेजस्वी छे. * चंद्र नथी, पण सौम्य छे. * पाणी नथी, पण शीतळ छे. * साकर नथी, पण मधुर छे. * सागर नथी, पण गंभीर छे. आ बधा ज गुणो आपणने एक ज सरनामे मळे एनुं नाम गुरु. गुणतत्त्व ज्यारे एनुं विराट अने उन्नत स्वरूप प्रगट करे त्यारे एनामां गुरुतत्त्वनो उद्भव थतो होय छे. एटले ज परमात्माने परमगुरु के जगगुरुनुं बिरुद अपायुं हशे. जीवता भगवाननी उपमा पामेला गुरुतत्त्वनी उपासना तो फळदायी छे ज, परंतु उपासना करतांय एनो अनुभव आपणा जीवनने वधु समृद्ध अने सद्धर बनावी आपे छे. गुरु आपणी पासेथी क्यारेय कांई मांगता नथी अने आपणने खबर पण न पडे एवी रीते आपणा जीवन अने मननुं परिवर्तन करी आपता होय छे. एटला माटे ज सद्गुरुना संयोगने पारसमणि जेवो गणाव्यो छे. कारण के पारसमणिनी जेम सद्गुरुनो संयोग पण दुर्लभ होय छे. जयवीयरायसूत्रमा सुहगुरुजोगोनी वात करता जणाव्युं छे. के हे प्रभु! तारी सेवा अने भक्तिथी बंधायेला पुण्यथी मने सद्गुरुनो योग प्राप्त थाओ. सद्गुरु साथे मारो मेळाप थाओ. आपणा माटे सद्गुरुना पावन संयोगने पामवानो एक अवसर गणी शकाय एवो समय आजनो छे. अत्यारनो छे. समयनु पारखं करी शकवानी क्षमता घरावता आपणे आ अवसरनो लाभ लेवो ज रह्यो. For Private and Personal Use Only
SR No.525282
Book TitleShrutsagar Ank 2013 09 032
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size4 MB
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