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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर - ३२ चउथइ भवि महाविदेहमांहि, विजइ गंधलावती नाम। वखारागिरि पासई, गंधसमिद्धपुर ठाम ।।२।। महाबलराय तिहां हू(हुआ, नास्तिकमत(ति) अतिचंड। स्वयंबुध मंत्री तेहनई, श्रीजिनधर्म अखंड ।।३।। एक दिनि स्वयंबुधि, भांजीउ नाटक रंग। वाद करीअनइ कुमतनु, रायनइ पाडीउ भंग ।।४।। बूझविओ राय मंत्री कहइ, सांभलि तं सविवेक। तुह्म आऊखू सदगुरि, आज कहिउं मास एक ||५|| तिणि कारणि मई भाजीओ, नाटक आज नरिंद। हिवइ जिम जाणु तिम करु, सांभलज्यो जनवृंद ||६|| || ढाल-ऊलालु ।। तु राय मनिहिं विमासइ, किसिउं करिसि एकइ मासइं। हई-हई गिउ भव आलिसा, जइ न बांधीय पालि ||१|| हूं विषयारसि रातु", जनम न जीणिउ ए जातु । इम झूरंता ए दुखभरि कहइ, तुझ सरणि मंत्रीसर ।।२।। मंत्री भणइ म म दुख करउं, हिव तुम्हे आतमहित करु। एक दिन चारित्रयोगि, पामइ वैमानिक भोग ।1३11 करी अट्ठाही(इ) महोत्सव, श्रीजिनमंदिरि उछव । लिइ संथारा ए दीक्षा, करइ मंत्रीसर सिख्या५५ ।।४।। अनशन पालीय सार, सुर ईशान मझारि तिहां। ललितांग थया सुरवर, स्वयंप्रभा तसु घरि अपछर ||५|| ते निर्नामिका जीव, तेहसिउं प्रेम अतीव । ते श्रेयांसकुमार जे, हुस्यइ प्रथम दातार ।। ६ ।। ॥ ढाल-चांदलानु ।। छठइ ए भवि महाविदेहमाहि, लोहार्गलपुर सार] वज्रजंघराय तिहां हऊआ१७, सगुण सरूप उदार ||१!! For Private and Personal Use Only
SR No.525282
Book TitleShrutsagar Ank 2013 09 032
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size4 MB
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