________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२०
सितम्बर - २०१३ ढाळमां कविए बहु विस्तारपूर्वक करी छे. इंद्र अने इंद्राणी सुनंदा अने सुमंगला साथे परमात्मानुं पाणिग्रहण करावे छे. काळ पसार थाय छे. क्रमशः युगलिकोनी विनंतीथी परमात्मा आ अवसर्पिणी काळना प्रथम राजा बने छे.
त्र्यांशीलाख पूर्व गृहस्थवास भोगवी संयमनो अवसर जाणीने सांवत्सरीक महादान आपी सिद्धार्थ वनमां परमात्मा छट्टनुं पच्चक्खाण करीने दीक्षा ग्रहण करे छे. सूझतो आहार के पाणी परमात्माने न मळता एक वर्षना उपवास थाय छे. एक वर्ष पछी श्री श्रेयांसकुमारना हाथे परमात्मानुं पारणुं थाय छे, आ अवसर्पिणी काळमां सौ प्रथम सुपात्रदाननी परंपरा प्रवर्ते छे.
परमात्माए ज्यां पारणं कर्यु त्यां श्री श्रेयांसकुमार स्तुप बनावी. ए स्थाने परमात्मानी स्मृत्तिमां रोज भक्ति करे छे. एक हजार वर्ष देश-विदेशमां विचरता परमात्माने अयोध्या नगरनी बाजुना शकटमुख उद्यानमां न्यग्रोधना वृक्ष नीचे सूर्योदयना समये केवळज्ञान प्राप्त थाय छे. देवो केवळज्ञान कल्याणकनो महोत्सव करे छे. समोवसरणनी रचना थाय छे. मरूदेवा माता भरत सहित बधा ज पुत्रो परमात्मानी देशना सांभळवा आवे छे. अनित्य भावनामां रत मरूदेवी माता केवळज्ञान पामे छे. कविए परमात्माना समोवसरण अतिशय अने देशनाना प्रसंगनुं सुंदर वर्णन प्रस्तुत कर्यु छे. ए समये चतुर्विध श्री संघनी स्थापना थई. परमात्मानी देशना सांभळी वैराग्यवासित थई ५०० भव्यात्माओए चारित्र ग्रहण कर्यु.
राजा भरत चक्रवर्तीपणुं प्राप्त करवा बाहुबली विगेरे ९८ भाईओ पासे पोतानी आण मनाववा कहेण मोकले छे. राजा भरतनी आज्ञा मानवा कोई तैयार नथी. त्यारे पिता ऋषभदेव पासे जई आनुं समाधान मेळववाना हेतुथी ९८ पुत्रो परमात्मा ऋषभदेव पासे आवी, बधी वात जणावे छे. परमात्मा राज्य माटे लडवा आवेला ९८ पुत्रोने प्रतिबोध पमाडे छे. प्रतिबोध पामी ९८ पुत्रो चारित्र ग्रहण करे छे.
बाहुबली पण भरत साथे युद्ध थया पछी वैराग्यथी चारित्रनो स्वीकार करे छे, प्रभु जोवे छे के एनाथी नाना बंधु मुनिवरोने वंदन करता बाहुबलिने अभिमान अटकावे छे, आथी बाहुबलीने बोध पमाडवा ब्राह्मी अने सुंदरीने एमनी पासे मोकले छे. बंन्ने बहेनो बाहुबलीने वीरा मोरा गज थकी उतरो जेवा शब्दोथी बाहुबलिने जगाडे छे. बाहुबली जेवा प्रभु पासे जवा माटे पग उपाडता केवळज्ञान पामे छे.
प्रभु क्रमशः विहार करता अष्टापदपर्वत उपर पधार्या. त्यां दशहजार साधुओ साथे अणसण स्वीकारी, परमात्मा मोक्षे पधार्या, देवताओए आवी एमना निर्वाणकल्याणकनो महोत्सव कर्यो. आम परमात्माना जीवनमां बनती घटनाओने कवि पोताना अहोभावसभर शब्दो आपी सुंदर रीते वर्णवे छे. कवि छेल्ली कडीओमां
For Private and Personal Use Only