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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जैन प्रतिमाओं की परम्परा Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डॉ. सत्येन्द्र कुमार ( गतांक से आगे ) सुपार्श्वनाथ के समय जैन स्तूप का निर्माण और विविधतीर्थकल्प में पार्श्वनाथ (९वीं-८वीं शती ई.पू.) के समय में सुपार्श्व के स्तूप का विस्तार और पुनरुद्धार हुआ था, इस तथ्य के आधार पर कहा जा सकता है कि जैन प्रतिमा सुपार्श्वनाथ से पार्श्वनाथ (९वीं-८वीं शती ई. पू.) के समय स्तूप पर रहे होंगे। यह बात जैनशास्त्रों और मथुरा के स्तूपावशेषों से स्पष्ट है कि जैन स्तूप पर मूर्तियाँ बनी होती थीं। अतः जैन प्रतिमा की प्राचीनता सुपार्श्वनाथ के समय तक जाती है। हड़प्पाकाल के बाद और मौर्यकाल के पहले तक कला का माध्यम काष्ठ ही रहा है इस बात की पुष्टि साहित्यिक और पुरातात्विक स्रोतों से होती है, इसलिए इन कालों के बीच जैन प्रतिमा के पुरातात्त्विक अवशेष प्राप्त नहीं हुए हैं। अब भी पूर्व भारत में पुरी नामक स्थान में जगन्नाथ, बलराम तथा सुभद्रा की प्रतिमाएँ लकड़ी की प्रतिमाओं का ज्वलन्त उदाहरण हैं । कलिंग नरेश खारवेल के ई. पू. द्वितीय शती के हाथीगुम्फा अभिलेख के आधार से प्रामाणित है कि नंदवंश के राज्यकाल अर्थात् ई.पू. पाँचवी - चौथी शती में जिन मूर्तियाँ प्रतिष्ठित की जाती थीं. ऐसी ही एक जिनमूर्ति को नन्दराजा कलिंग से अपहरण कर ले गये थे और उसे खारवेल दो-तीन शती बाद वापस लाया था। हाथीगुम्फा लेख के आधार पर जिनमूर्ति की प्राचीनता लगभग चौथी शती ई. पू. तक जाती है । मौर्यकाल की सर्वप्राचीन चमकदार आलेप युक्त जैन प्रतिमा (लगभग तीसरी शती ई. पू.) बिहार के लोहानीपुर (पटना) नामक स्थान से प्राप्त हुई है व पटना संग्रहालय में सुरक्षित है। प्रतिमा के अतिरिक्त उसी स्थल से उत्खनन् से प्राप्त होने वाली मौर्ययुगीन ईटें एवं एक रजत आहत मुद्रा भी मूर्ति के मौर्यकालीन होने के साक्ष्य हैं। मौर्यकालीन ईटें मिलने से वहाँ पर जैन स्तूप और उस पर प्रतिमा हो ऐसी संभावना हो सकती है। लोहानीपुर जिनमूर्ति के बाद लगभग दूसरीपहली शती ई. पू. की पार्श्वनाथ की एक कांस्य मूर्ति प्रिंस ऑफ वेल्स संग्रहालय, बम्बई में संगृहीत है जिसमें मस्तक पर पाँच सर्पफणों के छत्र से युक्त पार्श्व निर्वस्त्र और कायोत्सर्ग-मुद्रा में खड़े हैं। लगभग पहली शती ई. पू. समय की एक पार्श्वनाथ मूर्ति बक्सर जिले के चौसा ग्राम से प्राप्त हुई है, जो पटना For Private and Personal Use Only
SR No.525280
Book TitleShrutsagar Ank 2013 07 030
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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