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जून - २०१३ भाडां गरहणानी जयणा सही, वरसई वली लुंगडांगें मांन। मोहर पंचास उपर नही, देह काजि आखडी जाण ।।१९।।
धन धन भविजन... धान जाति मण त्रिणसई वली, घी मण पनर दस वली तेल। गोल खांड साकर मिली, वीस वीस मणनु मेल ।।२०।।
धन धन भविजन... अवर क्रियाj९ गांधी तणुं, ते सघलु मण पांच। इंधण° सो मण आण्या, मीठं मण पांच ज संघ[च] ||२१।।
धन धन भविजन... ए मांन एक वरसनु, वली कुंभारनो घाट। मोहर वीसनो आणवो, खारा-शाकनी एहज वाट ।।२२।।
धन धन भविजन... केरी निंबु करमदां, खारां२ करुं वरस प्रमाण । अवर सघलो घर-वाखरो३, शत एक मोहरनो जाण ।।२३।।
धन धन भविजन... वियरसेन राय व्रत लीए - ए ढाल।। हवई छटुं व्रत वखांणीइ ए| ते पहिलूं गुणव्रत जाणीइं ए । जोअण४ च्यारसइं मुझ दिसि दिसिइं ए। जोअण बि वली उड्ढ-अहो दिसिई ए ||२४।। वड शफरी' हु नवि चडु ए, नावादिकनी जयणा करुं ए| लेख संदेसो मोकला ए, अवर आरंभ मुझ नही भला ए ||२५।। सातमुं भोगपभोग जाणवू ए, तिहां चउद नि(य)मनुं आणq ए। दिन प्रति सचित सात धरूं ए, द्रव्य पंचासनी संख्या भरूं ए ।।२६।। विगय पांच मुझ मोकली ए, वाणही६ जोडां ते बि मिली ए। पांन पंचास ते अति भला ए, अवर नही मुझ मोकलां ए ।।२७।।
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