SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 10
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जून - २०१३ भातपाणी विच्छेद : मनुष्य-पशु वगेरेने भोजन-पाणीनो अंतराय करवो तेना खावा-पीवाना समय करतां मोडु आपq के अल्प प्रमाणमां आपq ते. (१) स्थूल मृषावाद विरमण व्रत : व्याख्या : स्थूल मृषावादना त्यागरूप आ द्वितीय व्रतमां खास पांच मोटा जूठनो त्याग करवामां आवे छे. १. कन्यालीक : छोकरा, छोकरी, नोकर-चाकर वगेरे माटे तेना रूप, गुण, ऊमर इत्यादि बाबतमां जूढुं बोलवू नहि. कोइने सखत आघात लागे अने हृदय भांगी पडे एटली हदे जूटुं बोलवू नहि. इरादापूर्वक जाणी जोइने जूटुं बोलवू नही. २. गवालीक : गाय, बळद, घोडा, वगेरे चारपगां जानवरो अंगे दूध, वेतर, आदत वगेरे बाबतमां जूटुं बोलवू नहि. ३. भूमि अलीक : भूमि, खेतर, फ्लेट, घर, दुकान, ऑफिस संबंधी जूटुं बोलवू नहि. बीजानी जमीन पचावी पाडवा संबंधी जूटुं बोलवू नहि. ४. थापण मोसोः पारकी थापण ओळववी नहि. ५. कूटसाक्षी : बीजाने नुकसानमा उतारे एवी जूठी साक्षी पूरवी नहि. आ सत्यव्रत अंगेना पांच अतिचारो त्यजवा जोइए. १. सहसाक्षात्कार : उतावळथी के वगर विचारे बोलवू, कोइने गाळ देवी, के मार्मिक वचन बोलवू ते. २. रहस्य भाषण : कोइनी गुप्त वातो जाहेर करवी. ३. विश्वस्तमंत्र भेद : पोतानी पत्नी, सगासंबंधी आदि विश्वासुना दुषण कहेवा. ४. मृषा उपदेश : जूठो उपदेश आपवो, खोटी सलाह आपवी. ५. कूटलेख : खोटा दस्तावेज लखवा, अगर तेमांथी अक्षरो काढी नाखवा वगेरे. (३) स्थूल अदत्तादान विरमण व्रत : व्याख्या : मालिके नहि आपेली ते ते वस्तुनो देशथी परित्याग करवो... मालिकने पूछ्या विना तेमनी कोइपण नानी मोटी वस्तु लइ लेवी ते अदत्तादान कहेवाय छे, चोरी न करवी ते त्रीजा व्रतनो भाव छ, आ व्रतना पांच अतिचारो नीचे प्रमाणे छे ते त्यजवा जोइए. For Private and Personal Use Only
SR No.525279
Book TitleShrutsagar Ank 2013 06 029
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy