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________________ For Private and Personal Use Only तडो| नितन बलामायबाप ! जन्मजरामर बात । २ संतापल दी सामग्री धर्मनी।मूरष जेके तिस विश्दीस रिक याच उगमादिसति विषमं मारना हईडगमारा धर्म एका बापडा / देव रक सेडा गयाराव केरी माडली ते घरका मुगतिमनिऊंगा ही ऊं। जिहां ब इनिश्चल सुरक॥ च॥ मुनिने राज् घोर धरा वैता र गिरिजई काउसग्ग कर। मेहली माया सिबे काश्मिी। मुगति मा रिबेरू मनिगम ॥७॥ भो सरच्या व्युपरिवार। बेरू मुनिवरनु सुष्षु विचारा ईकाइ लोग हई ॐ । स चाली निं ते त्यां रोरामा आउनई विमान पुती मजगी को भातून नवीकली!घरित्र्याच्या सुरतक गयाच लीगएमा हा के नाम तिस्सुं परिणाम नल से शालितनुं नाम होइ फुं नविली के दि॥२१॥ चच वीनती के अवरमा एक लीमे दुली निरधारा एक बार में साद मुंजोई। जिमच्ााइड इनिनिदाई॥२१॥ चालीसा २६३५नो निश्चलभनि करी] लिई माताम निःश्वरी नया ऊपा डी जो ऊं जामा सहर पईघर पूजा म बेरू की धुनिश्चलमन्तात मही मुगतिषु धन्य शालिन मरेन सिद्दि। पाम्या नंती रिद्वि ॥ १३ एक नार हो सितारा पुनरपि लेसर संयम सातपकर सजाई वन्नइरही। मुगतिनारितेवर-मरस हो । हाम शालि त धन्ना तामा। गुएा नवि जाएं पार। बुद्विहीन मई मूर बई। बोल्ट लगा॥२१५ अलग बिन इंजरणाचा हा भ्यांवंडितराजासा हा एक जेादर । ते ममारकाज ॥ २१६ पता जयशेषर शिशाघ लहइ म विशितापादि जिन रयानामनिशुद्धिं प्रभुं निशिदी ॥ २१ ॥ शुक नामदई इते। उपबंधु कधारकरी शालि सन्तानुचरित्रादवितेरुपवित्र सामदित नर नारी कश्मनश्रुि श्रवापेण साधु मुनिव२५ साप नवनिधि आवश्घ रिते दत ॥ २१० इति श्री शालित रासः संतल संवत् १६०५ वर्षे मार्ग शीसित वा निवारेका लावाडिदेशे मालवा ग्रामे पंडित श्रीश्रीसंघ विजया गलिचरणार विदषड्पदायमान गणिदेव चिंजयोऽलिख॥ श्रीरसु मुद॥ कल्याणमभु लेखपाल काथाः शालि रा ६. किमर सीडरुटर काम x प्रतिलेखन पुष्पिका क्रमांक ९ मां नोंधायेल संघविजयगणिना शिष्य देवविजयगणिना हस्ताक्षरोमां लखायेल शालिभद्ररासनुं अंतिम पत्र Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
SR No.525277
Book TitleShrutsagar Ank 2013 04 027
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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