________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
श्रुतसागर - २६
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सीतलवचनि सीखामण देता, बपुर * वचनि ऊल्हासिजी,
ते गुण खण एक मझ नवि वीसरि, सुखि रहितउ तुम्ह पासिजी. २०
तातजी आखउ रे कोई...
४७
नेह लगाई गया विदेसि, ते दुख रिदय न मायोजी, खिणि- खिणि रोव नेह धरीनइं, मुखि बोलितउ तायोजी. २१ ताजी आखउ रे कोई...
भद्रा कोमल वचन पालई, किसिउ धरि वच्छ ! दुखोजी, ए संसार असार जिणिदं कहिउ, संयमथी हुय सुखोजी २२ ताजी आखउ रे कोई...
7
तेणि वचनइं गाढउं ऊवसमीयउ रहि सदा गुरूचरणइंजी, भई गुणि आगम मनि भावई, संयमधुर ऊद्धरणइंजी. २३
तातजी आखउ रे कोई... ।।राम-गोडी || || रामचंदकि वागि चंपउ मुरि रहिउरी-ए ढाल ।। एक दिनि भिक्षा काजि, साथि लीयु मुनि तांणी, कसिउं करि तव सोय, जउ क्षुधा पीडइं प्रांणी. २४ कोमलकाय प्रधान तव, अरणकमुनि निकसिउ, ग्रीषम-दिन तपि सूर, तावड करि ते विकसिउं. २५ वाइ लूय अपार तिणि, तरसिउ थयउ ताथइं, सूकई रसना तालूं, अधरपल्लव तिणि साथइं. २७ वेणु जलई जिउं अग्नि, पाऊ न मूंकिउ जाइ, खिणि- खिणि थाइ सयर, मीन पडिउ थलदाई. २८ साधु थविर हुंता जेह, आगिइं वही गया खिणमि, नव जोयुं फरि कांई, पाछलि मुनिनि तिणिमि. २९ मुनि अरणक तिणइ, धुपि संतापिउ इम चेतइ, इणि मारग किम जाये, चरण जलि सही रेति. ३०
उत्साहपूर्ण.
For Private and Personal Use Only