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वि.सं.२०६८-द्वि. भाद्रपद
मिलने पर पानी भी दूध कहलाता है, समर्पण में ही सार मिलता है। निःसार रूपी संसार में सार ग्रहण करने की कला आपने मुझे दी है, आपको मैं क्या दूँ? संयम जीवन की धर्म-आराधना के द्वारा जो भी फल मिला है वहीं आपको समर्पित करता हूँ। परमात्मा से, शासन देव से प्रार्थना करता हूँ, आप दीर्घायु हों, वर्षों-वर्ष शासन सेवा, अनेक आत्माओं को आत्म-शुद्धि का मार्ग बताते रहें।
आप सदा सरिता की तरह बहते रहें, जन-जीवन का जीवन नंदन वन बनाते रहें, परमात्मा-शासन देव आपको शक्ति दें।
पंन्यास विवेकसागर
दिल की खुशी को व्यक्त किया नहीं जाता मीठे एहसास को दिखलाया नहीं जाता।
हर कोई सागर को पहचान नहीं पाता
इस सागर के गुणों को गाया नहीं जाता। राह पर चलते अनायास झील में खिले कमल के फूलों पर नजर गई, फिर मेरी भागती हुई नजर झील में भागतीदौड़ती उन लहरों के ऊपर खिले कमल के फूल पर जा लगी। मन चिंतन की लहरों पर सरकने लगा, कि ये कमल चाहे जितना कीचड़ से उठा हो लेकिन इसमें कीचड़ जरा भी नहीं है। ये जलज है, इसलिए इसमें ऐसा होना नामुमकिन है, बतौर हमारे हृदयस्थ परमोपकारी, श्रद्धेय गुरुदेव नाम मात्र से ही नहीं कार्य और शान से भी कमल हैं। गुरुदेव यानि सागर समुदाय के युगनायक । ज्ञानतीर्थ स्थापक का जन्मदिन | मन ही मन खुशिय है खुशी से पूरित मन का हर कोना होता है। मन में एक अजीब सा अहसास होता है, ऐसे गुरुवर को हासिल करके। गुरुदेव तो हकीकत में झील में खिले पद्म की तरह हैं, उनकी करुणा यूं ही हम पर सदैव बरसती रहे और हम उसमें भीगते रहें, यही प्रार्थना परम पावन चरण कमलों में ।
पंन्यास महेन्द्रसागर
सद्गुरु रुपी माईल स्टोन
किसी गाँव या शहर में जाना हो तो हम साधन द्वारा मुसाफरी करते हैं, उस रोड पर हर कि.मी. पर माईल स्टोन सरकार की ओर से लगाया हुआ दिखता है, उस पर गाँव-शहर का नाम एवं कि. मी. लिखा हुआ पढ़ने को मिलता है, और वह पढ़ते-पढ़ते हम अपने लक्ष की प्राप्ति कर लेते हैं। यदि वह न हो तो हम रास्ता भटक जाते हैं
और हमारा लक्ष हमें प्राप्त नहीं होता है। वहाँ तो हम भटक जाएं तो कहीं न कहीं से रास्ता मिल जाता है। साथ में साधन है, इसलिये थकान नहीं लगेगी. जैसे रास्ते में मुसाफरी के लिए माईल स्टोन आवश्यक है, वैसे ही इस संसार को पार करने के लिए इस संसार के मार्ग पर गुरु भी माईलस्टोन जैसे हैं। हम संसार में भटक न जाएँ और परमात्मा के द्वार पर हम सुरक्षित पहुँच जाएँ, इसलिए गुरु का अपने जीवन पर महान उपकार है। संसार सागर है, सागर को पार करने के लिए गुरु सेतु (पुल-ब्रीज) के समान हैं। गुरु के बिना भवसागर से पार उतरना बहुत ही कठिन है। परमात्मा को पावर हाउस की उपमा दी गई है और सद्गुरु को बिजली के खंभे की तरह माना गया है। कनेक्शन जोड़ दिया जाए तो जीवन में ऐसा प्रकाश फैलेगा कि पाप, ताप, संताप का अंधकार दूर हो जाएगा।
मुझे भी मेरे जीवन में माईल स्टोन रूपी गुरु मिले हैं, जो मेरे जीवन को सही दिशा में ले जा रहे हैं।
मेरे जीवन में पू. गच्छाधिपति आचार्य देव श्री कैलाससागरसूरीश्वरजी म. जिन्होंने मुझे मौत के मुख में जाने से बचा लिया।
बचपन में एसी बीमारी में थी कि मौत मेरा शिकार करने के लिए ही खड़ी थी, लेकिन जो व्यक्ति के जीवन में गुरु की कृपा है, आशीर्वाद है, उसके पास मृत्यु भी आने के लिए सोच में पड़ जाती है, ऐसा ही मेरे जीवन में भी हुआ।
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