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वि.सं. २०६८-द्वि. भाद्रपद
निंदनीय प्रस्ताव को खारिज करवाया.
o राजस्थान सरकार द्वारा ट्रस्टों में अपना प्रतिनिधि नियुक्त करने के अध्यादेश को राज्यपाल को कुशल युक्तियों के
द्वारा समझा कर वापस कराया.
● राणकपुर तीर्थ में फाईव स्टार होटल के निर्माण पर रोक लगवा कर तीर्थ की पवित्रता को अक्षुण्ण बनाए रखा. ० इमरजेंसी के दौरान भारत के प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी को राष्ट्रहित में मार्गदर्शन.
० नेपाल में पाद विहार करके सैकड़ों वर्षों के बाद प्रथम बार जैनाचार्य के रूप में पदार्पण किया,
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o काठमाण्डु (कमल पोखरी) में आपकी निश्रा में श्री महावीरस्वामी जिनमन्दिर की भव्यातिभव्य प्रतिष्ठा हुई. आपकी निश्रा में विश्व हिन्दू महासभा का अधिवेशन काठमाण्डू में सम्पन्न हुआ, जिसमें विश्व के १४ देशों से अग्रणी हिन्दू प्रतिनिधियों ने भाग लिया था.
० जैन एकता, संगठन व जैन कॉन्वेन्ट स्कूलों के आप सफल प्रेरणादाता रहे हैं.
० आपके पदार्पण से बरसों बाद दक्षिण भारत में धर्म आराधना व ज्ञान की मंद धारा तेजी से बहने लगी.
o गोवा प्रदेश में सैकड़ों वर्ष बाद जिनालय की भव्य अंजनशलाका-प्रतिष्ठा आपकी पावन निश्रा में सम्पन्न हुई. • वालकेश्वर (मुम्बई) श्रीसंघ को देवद्रव्य संबंधी जैन परंपरा और सिद्धान्त का मार्गदर्शन किया.
० राष्ट्रपति श्री शंकरदयाल शर्माजी ने राष्ट्रपति भवन में आपके पावन पदार्पण करा के आशीर्वाद ग्रहण किया. ० भारतवर्ष की पवित्र भूमि हरिद्वार में प्रथम जिनमन्दिर रूप श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ की भव्य अंजनशलाका प्रतिष्ठा कराई. ० पूज्यश्री की प्रेरणा से जोधपुर नरेश श्री गजसिंहजी ने महल में पिछले ४०० सालों से चली आ रही दशहरा के दिन भैंसे की बलि की प्रथा बंद करवाई.
० जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक युवक महासंघ, जैन डॉक्टर्स फेडरेशन एवं जैन चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट विंग की स्थापना आपकी प्रेरणा से हुई, जो पूरे भारत के जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघों को अपनी विशिष्ट सेवाएं प्रदान कर रही है.
प्रभु महावीर की निर्वाणभूमि पावापुरी में मछली पकड़ने पर पाबन्दी एवं सरोवर की पवित्रता का शुभ संकल्प करवाया.
Q गीतमस्वामी की जन्मस्थली कुण्डलपुर (नालन्दा) तीर्थ भूमि के मंदिर की महोत्सव पूर्वक प्रतिष्ठा हुई.
० हरिद्वार में सर्वधर्म के धर्मगुरुओं द्वारा सार्वजनिक अभिनंदन का सन्मान प्राप्त किया.
० श्री शान्तिनाथ जैन तीर्थ, वटवा का निर्माण करवाया.
O श्री नेमिनाथ जैन बावन जिनालय प्राचीन तीर्थ रांतेज का पुनर्निर्माण कार्य करवाया.
० श्री संभवनाथ जैन आराधना केन्द्र, तारंगाजी आदि जैन तीर्थों के उद्धारक व मार्गदर्शन प्रदाता रहे हैं. विविध उपाधियाँ :
० भूतपूर्व राष्ट्रपति महामहिम श्री नीलम संजीव रेड्डी द्वारा राष्ट्रसन्त की उपाधि से विभूषित.
• वालकेश्वर (मुम्बई) श्रीसंघ द्वारा सम्मेतशिखर तीर्थोद्धार के बिरुद से सम्मानित.
● राणकपुर- सादडी श्रीसंघ द्वारा श्रुतोद्धारक पददी से सम्मानित.
शासन प्रभावना :
० तीर्थयात्रा - विहार भारत के लगभग सभी छोटे-बड़े तीर्थ व एक लाख किलोमीटर से अधिक पदयात्रा
o प्रतिष्ठाएँ :
१२
● यात्रासंघ :
० शिष्य प्रशिष्य
● उपधान तप :
७५ ११
● दीक्षाएँ :
७०
४२ (आचार्य ४ पंन्यास ५, गणिवर्य २)
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० साहित्य प्रकाशन लगभग २८ प्रकाशन हिन्दी, गुजराती व अंग्रेजी में.
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आपकी अमृतमयी वाणी :
मैं सभी का हूँ, सभी मेरे हैं, प्राणी मात्र का कल्याण मेरी हार्दिक भावना है में किसी वर्ग, वर्ण, समाज या जाति के लिए नहीं, अपितु सबके लिए हूँ। व्यक्ति राग में मेरा विश्वास नहीं है। लोग वीतराग परमात्मा के बतलाये पथ पर चलकर अपना और दूसरों का भला करें, यही मेरी हार्दिक शुभेच्छा है।
जैन श्रमण संस्कृति के गौरव रूप आचार्य श्री पद्मसागरसूरिजी के चरणों में उनके ७८ वें पावन जन्मदिवस प्रसंग पर हमारी आपकी, सबकी नतमस्तक कोटिशः वंदना ।
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