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सितम्बर २०१२
राष्ट्रसंत आचार्य श्री पझसागरसूरीश्वरजी महाराज साहब के ७८वें
जन्म वर्धापन दिन पर विशेष संक्षिप्त परिचय
डॉ. हेमन्त कुमार
सांसारिक जीवन : ० जन्म : विक्रम संवत १९९१ भाद्रपद कृष्णपक्ष एकादशी मंगलवार, तदनुसार १० सितम्बर १९३५. ० जन्म स्थान : अजीमगंज, पश्चिम बंगाल ०पिता का नाम : श्री रामस्वरूपसिंहजी उर्फ श्री जगन्नाथसिंहजी. ० माता का नाम : श्रीमती भवानीदेवी ० बचपन का नाम : प्रेमचन्द/लब्धिचन्द्र ० शिक्षा : माध्यमिक स्तर तक
० भाषा ज्ञान : संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, बंगाली, गुजराती, राजस्थानी
व अंग्रेजी. साधुजीवन का प्रारम्भ : ० दीक्षा ग्रहण : वि. सं. २०११ कार्तिक (मार्गशीर्ष) कृष्णपक्ष ३ रविवार, १३ नवम्बर १९५४ ०दीक्षा स्थल : साणंद० दीक्षा प्रदाता : आचार्य श्री कैलाससागरसूरीश्वरजी म. सा. ० दीक्षा गुरु : आचार्य श्री कल्याणसागरसूरीश्वरजी म. सा. ०दीक्षा नाम : मुनि श्री पद्मसागरजी म. सा. ० गणिपद से विभूषित : वि. सं. २०३० माघ शुक्ल पक्ष पंचमी. सोमवार, २८ जनवरी, १९७४, अहमदाबाद ० पंन्यासपद से विभूषित : वि. सं. २०३२ फाल्गुन शुक्ल पक्ष सप्तमी, सोमवार, ८ मार्च, १९७६, जामनगर o आचार्यपद से विभूषित : वि. सं. २०३३ मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष तृतीया, शुक्रवार, ९ दिसम्बर, १९७६, महेसाणा जिनशासन के समर्थ उन्नायक : ०जैन श्रमण संस्कृति की गरिमापूर्ण परंपरा में जिनका एक यशस्वी नाम है. ०व्यवहार-कुशलता, वाक्पटुता, कर्तव्य-परायणता आदि गुणों से जो विभूषित हैं. ० मानवमात्र के लिये जिनका देदीप्यमान जीवन प्रेरणास्पद एवं वरदान है. ०जिनशासन के उन्नयन हेतु समर्पित जिनका संपूर्ण जीवन है. ० अपनी मधुर वाणी से लाखों श्रोताओं को जिन्होंने धर्माभिमुख किया है. ०जिनशासन के गौरव में जिन्होंने चार-चाँद लगा दिये हैं. ० मानव मात्र के उपकार हेतु जो सतत प्रयासरत हैं. ० जैन-दर्शन व प्राच्य विद्या के क्षेत्र में अवगाहन करने वालों के लिए जो रत्नाकर तुल्य हैं. ० श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा की स्थापना जिनकी सत्प्रेरणा से हुई है. ० आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबा जिनकी अमरकृति है. ० विश्वमैत्रीधाम बोरीजतीर्थ के ऐतिहासिक जिनमंदिर निर्माण के जो प्रेरक हैं. ० श्री सीमंधर जिन मंदिर, महेसाणा के निर्माण में जिनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है. ० भारतीय प्राचीन सांस्कृतिक-ऐतिहासिक-पुरातात्त्विक धरोहर के जो संरक्षक हैं. ० जिनभक्ति व शासनप्रभावना के प्रति जो पूर्ण समर्पित हैं. ० वात्सल्य, करुणा, दया और प्रेम की जो प्रतिमूर्ति हैं. ० जिनकी भाषा की सरलता, स्पष्ट वक्तृत्व, अभिप्राय की गंभीरता व प्रस्तुति की मौलिकता है, ०जिनके ओजस्वी प्रवचनों से व्यक्ति और समाज में अभूतपूर्व परिवर्तन आया है. यशस्वी ऐतिहासिक कार्य : ० बाल-दीक्षा-प्रतिबन्ध प्रस्ताव को निरस्त कराकर पुनः बाल-दीक्षा का प्रारम्भ कराया. ० शत्रुजय महातीर्थ के बाँध में होनेवाली मछलियों की जीव-हिंसा पर रोक लगवाई. ० मुम्बई महानगरपालिका के द्वारा विद्यालय के बच्चों को अल्पाहार में फूड-टॉनिक के रूप में अण्डा दिए जाने के
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