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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २ www.kobatirth.org चातुर्मास को बनाएँ आराधना का महापर्व चातुर्मास का प्रारम्भ हो चुका है. चातुर्मासिक आराधना हेतु परम पूज्य राष्ट्रसंत आचार्यदेव श्रीमद् पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज का चातुर्मास प्रवेश दिनांक २१ जून, २०१२ को श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र कोबा में चतुर्विध श्रीसंघ द्वारा हर्षोल्लास पूर्वक कराया गया. पूज्य आचार्यश्री तीन वर्षों के लम्बे विरह के बाद कोबा पधारे हैं, इनकी निश्रा में आत्मोत्थान का महापर्व मनाने का सौभाग्य हमें प्राप्त हुआ है. जैन संस्कृति में वर्षाकाल के चार मासों को आराधना-साधना का काल कहा गया है. जीवन कल्याण और आत्मोन्नति का मार्ग अर्थात् आराधना-साधना. जिन्होंने अपने जीवन में देव-गुरु-धर्म की आराधना को स्थान दिया है, उनका जीवन सार्थक बना है. साधु-साध्वी हमारे समाज के चौकीदार हैं, ये मानव कल्याण के लिये चार मास के चातुर्मास में अपने श्रम द्वारा लोगों को सही जीवन जीने की कला सिखलाते हैं, आज का मानव भौतिक चकाचौंध में भटक रहा है, मानव जीवन का मूल्य नहीं समझ पा रहा है. गुरु के द्वारा बतलाए गए मार्ग पर चलकर व्यक्ति अपना एवं अपने परिवार का कल्याण कर सकता है. जिनवाणी का श्रवण करके आत्मा में अनादिकाल से चिपके हुए कर्मों को अलग करने का समय चातुर्मास है. गुरुवचन हमें राग-द्वेष से दूर रहने की कला सिखलाते हैं. राग-द्वेष हमारे जीवन के लिये घातक हैं. जबतक हम इस प्रवृति से दूर नहीं होंगे तबतक जीवनचक्र से छुटकारा नहीं मिलने वाला है. इस जीवनचक्र को समाप्त करने हेतु कषायों को दूर करके आत्मा को निर्मल बनाना है. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हमें बहुमूल्य मानवजीवन मिला है. यह जीवन छोटी-छोटी बातों और सांसारिक सुख-सुविधा में ही व्यतीत न हो जाए, इस बात का पूरा ध्यान देना होगा. हमारा शरीर केवल भोगविलास के लिये नहीं है बल्कि यह आध्यात्मिक विकास का एक साधन है. इस शरीर का हम सदुपयोग करें और अपने जीवन को सफल बनाएँ. इसके लिये हमें सद्गुरु की आवश्यकता है. गुरु ही हमें सच्चे अर्थ में जीने की कला से अवगत कराएँगे. अनुक्रम जुलाई २०१२ चातुर्मास का समय हमारे लिये आत्मोत्थान का नया संदेश लेकर आया है, इसमें सोने में सुहागे जैसा परम पूज्य राष्ट्रसंत आचार्यदेव श्रीमद् पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज का सान्निध्य मिला है, प्रत्येक रविवार को आत्मोत्थान की याद दिलाता विभिन्न विषयों पर पूज्यश्री का प्रभावक प्रवचन सुनने का सौभाग्य मिला है; तो हम क्यों न अपना मानवजीवन सफल बनाएँ और इस चातुर्मास को आराधना का महापर्व बनाएँ. लेख १. चातुर्मास को बनाएँ आराधना का महापर्व ૨. તપોરૂપ લાવણ્ય ભંડાર વંદુ ધન ધન્ના અણગાર ३. आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर एक नजर ४. पाण्डुलिपियों में मिलनेवाले चिह्न और उनका संपादकीय महत्त्व ५. २४ तीर्थंकर स्तवना ६. सागर समुदाय चातुर्मास सूचि ७. समाचार सार For Private and Personal Use Only लेखक प्रकाशकीय આ. પ્રદ્યુમ્નસૂરિજી डॉ. हेमंत कुमार डॉ. उत्तमसिंह भद्रबाहुविजय डॉ. हेमंत कुमार पेज २ rm w9:20 3 ६ ७ १० १३ १४
SR No.525268
Book TitleShrutsagar Ank 2012 07 018
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2012
Total Pages20
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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