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१६
जून २०१२
समाचार सार
हीरेन दोशी एवं विनय महेता
हीरक नगरी सुरत में राष्ट्रसंत आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा.
का भव्य नगर प्रवेश परम पूज्य राष्ट्रसंत आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. एवं उनके शिष्य-प्रशिष्य गणिवर्य श्री प्रशांतसागरजी, मुनिश्री पद्मरत्नसागरजी, मुनिश्री पुनितपद्मसागरजी. मुनिश्री भुवनपद्मसागरजी आदि के साथ मुंबई महानगरी में चातुर्मास संपन्न कर एवं गोडीजी पार्श्वनाथ द्विशताब्दी समारोह का ऐतिहासिक कार्यक्रम में निश्श्रा प्रदान करने के पश्चात गुजरात की राजधानी गांधीनगर के समीप कोबा में चातुर्मास करने हेतु पधार रहें हैं. विहार के क्रम में अनेक गाँवों व नगरों में श्रीसंघ को धर्मदेशना देते हुए दिनांक २९/०५/१२ को गुजरात की हीरक नगरी सूरत में प्रवेश किया. सुरत शहर में सबसे पहले पूज्यश्री ने अरिहंत वासुपूज्य जैन संघ के नूतन उपाश्रय में मंगल प्रवेश किया जहाँ युवावर्ग द्वारा आयोजित भव्य कार्यक्रम में पूज्यश्री द्वारा उस नूतन उपाश्रय में सर्वप्रथम प्रवचन दिया गया. इस अवसर पर उपस्थित साधर्मिक बंधुओं हेतु नवकारशी की सुंदर व्यवस्था की गई थी.
दिनांक ३०/०५/१२ को प्रातः ७ बजे पूज्य श्री का गज्जर वाडी जैन संध में मंगल प्रवेश हुआ तथा पूज्यश्री ने मांगलिक प्रवचन किया. वहाँ से विहार कर प्रातः ९ बजे हरीपुरा जैन संघ में मंगल प्रवेश किया तथा वहाँ उपस्थित श्रद्धालुओं को अपने प्रवचन से भावविभोर कर दिया.
दिनांक ३१/०५/१२ को वडा चौटा जैन संघ ने पूज्यश्री के मंगलप्रवेश के समय भव्य सामैया का आयोजन किया था, वहाँ अति प्राचीन गोडी पार्श्वनाथ जिनालय में दर्शन के पश्चात नवकारसी की सुंदर व्यवस्था की गई थी. पूज्यश्री के प्रभावक प्रवचन के पश्चात् श्रीसंघ ने पूज्यश्री से प्राचीन जिनालय के जिर्णोद्धार कार्य में आशीर्वाद, सान्निध्य एवं मार्गदर्शन देने हेतु विनती की. पूज्यश्री ने श्रीसंघ की भावना को देखते हुए उनकी विनती स्वीकर कर आशीर्वाद दिया कि भगवान की कृपा से श्रीसंघ की भावना सफल होगी. पूज्यश्री द्वारा आशीर्वाद प्राप्त कर श्रीसंघ में चतुर्दिक हर्ष की लहर फैल गई.
दिनांक ०१/०६/१२ को हरिपुरा से विहार कर एशियन स्टार कम्पनी में पधारे जहाँ मांगलिक प्रवचन के बाद नवकारशी की व्यवस्था की गई थी. वहाँ से विहार कर पूज्यश्री अरिहंत पार्क जैन संघ, स्टेशन रोड, सुमुल डेयरी रोड पधारे जहाँ श्रीसंघ ने भव्य सामैया का आयोजन कर पूज्यश्री का नगरप्रवेश कराया. मांगलिक के पश्चात् पूज्यश्री प्रवचन ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भक्तिगंगा में डुबकियाँ लगवाकर पावन कर दिया.
सुरत नगर के पुलिस कमीश्नर श्री राकेशभाई अस्थाना अपने पूरे परिवार के साथ पू. आचार्य भगवंत के दर्शनार्थ उपस्थित हुए एवं वंदनापूर्वक आशीर्वाद प्राप्त किये.
बैंग्लोर में आयोजित मुमुक्षु रोनककुमार का दीक्षा महोत्सव
कर्नाटक की राजधानी बेंगलूर नगर की पावन धरा पर श्री वासुपूज्यस्वामी जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ अक्कीपेट के आंगन में परम पूज्य राष्ट्रसंत आचार्यदेव श्री पदमसागरसूरीश्वरजी म. सा. के शिष्यरत्न सूरिमंत्र आराधक, पदमगौरव परमपूज्य आचार्य भगवंत श्री वर्धमानसागरसूरीश्वरजी म.सा., प्रवचनप्रदीप पंन्यासप्रवर श्री अजयसागरजी म.सा एवं ज्योतिर्विद पंन्यासप्रवर श्री अरविंदसागरजी म.सा. आदि ठाणा की पावन निश्रा में मुमुक्षु श्री रोनककुमार अशोककुमारजी महेता की भागवती प्रवज्या खूब हर्षोल्लास पूर्वक संपन्न हुई.
श्रीसंघ द्वारा आयोजित दीक्षा महोत्सव के प्रथम दिन पूज्य गुरुभगवंतों का मंगल प्रवेश हुआ, श्रीपार्श्वनाथ पंचकल्याणक पूजा के आयोजन द्वारा जिन-भक्ति महोत्सव का शुभारंभ हुआ. परंपरागत रूप से मुमुक्षु के श्रमण योग्य वस्त्रों को केसर के छीटों से अभिमंत्रित किया गया, जबकि महोत्सव के दूसरे दिन प्रातःकाल में अक्कीपेट के मुख्य राजमार्गों पर मुमुक्षु रोनककुमार का भव्यातिभव्य वर्षीदान का वरघोड़ा एवं तत्पश्चात् श्रीसंघ ने मुमुक्षु का सन्मान समारोह अत्यंत भावोल्लास पूर्वक आयोजित किया.
विक्रम संवत २०६८, ज्येष्ठ सुदि-१३, दिनांक ०२-०६-२०१२, शनिवार के शुभदिन यानी महोत्सव के तीसरे दिन प्रातःकाल में गुरूभगवंत द्वारा प्रदत्त शुभवेला एवं शुभ अवसर पर देव गुरू व श्रीसंघ की साक्षी में मुमुक्षु श्री रोनककुमार ने मुनिश्री हीरपद्मसागरजी म.सा. के पुनित चरणों में अपना जीवन समर्पित किया एवं श्रमण भगवान महावीर के पावन वेश को धारण किया और वे मुनिश्री चारित्रपद्मसागरजी के रूप में घोषित हुए. संस्था की तरफ से ट्रस्टी श्री मुकेशभाई एन. शाह इस पावन प्रसंग पर उपस्थित रहे.
पद्मगौरव परमपूज्य आचार्य भगवंत श्री वर्धमानसागरसूरीश्वरजी म.सा के करकमलों से दीक्षित होकर रोनककुमार ने जहाँ एक ओर मुमुक्षुश्नी से मुनिश्री बनकर परम पूज्य राष्ट्रसंत आचार्य भगवंत श्रीमद् पद्मसागरसूरिजी के परिवार की रौनक बढाई, तो दूसरी ओर अपनी कुलपरंपरा एवं माता-पिता आदि परिवारजनों का नाम उज्ज्वल किया. दीक्षा प्रसंग पर श्री सुरेंद्रभाई गुरूजी ने मंच संचालन किया. दोपहर में विविध महापुरूषों द्वारा रचित श्री चारित्र पद पूजा का भव्य आयोजन नूतन मुनिश्री के संसारी परिवारजनो की ओर से किया गया था.
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