________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
૧૫
वि.सं.२०५८-४४
एवं आशीर्वाद रहा है. पूज्य मुनि श्री पुण्यविजयजी की प्रेरणा मुझे हस्तलिखित ग्रंथों के संकलन का कार्य करने में सहायक बना रहा. संस्था के निर्माण हेतु सुश्रावक दानवीर शेठ श्री रसिकभाई शाह ने गांधीनगर - अहमदाबाद राजमार्ग पर स्थित कोबा की अपनी बहुमूल्य जमीन उपलब्ध कराने की सहर्ष अनुमति प्रदान की. यहाँ भव्य जिनालय एवं विशाल ज्ञानमंदिर का निर्माण कराकर भारत भर की यात्रा में मुझे जहाँ भी हस्तलिखित ग्रंथ या पुरातात्विक सामग्रियाँ मिलती गईं, मैं उन्हें कोबा में भेजता गया. समाज के सहयोग से इनके संरक्षण- संवर्द्धन की सुंदर व्यवस्था की गई है. पूज्य आचार्यश्री ने अपने प्रवचन में आगे कहा कि इस कार्य में मेरे शिष्य प्रशिष्यों ने बहुत श्रम किया है. मुनिश्री निर्वाणसागरजी महाराज एवं पंन्यास श्री अजयसागरजी महाराज का नाम लेते हुए कहा कि इनका कुशल मार्गदर्शन एवं श्रीसंघों का उदारतापूर्ण सहयोग प्राप्त नहीं हुआ होता तो हमारा स्वप्न पूर्ण नहीं हो
पाता.
पूज्य आचार्य भगवंत की प्रेरणा से कैलास श्रुतसागर ग्रंथसूचि के आगे के खंडों के प्रकाशन में विशेष सहयोग करने के लिये श्री संवेगभाई लालभाई, श्री रसिकलाल धारीवाल, श्री रमेशभाई लुंकड, श्री गोडीजी महाराज जैन टेम्पल ट्रस्ट, श्री चंद्रप्रकाश अग्रवाल, बावन जिनालय भायंदर ह. श्री सुरेशभाई शाह, श्री देवीचंदजी विकासकुमार चोपडा, शांतिलाल लल्लुभाई शाह ह श्री भरतभाई आदि प्रमुख महानुभावों ने उदारता पूर्वक स्वीकृति और अनुदान प्रदान किया.
-
पूज्य आचार्यभगवंत के मंगल आशीर्वचन के पश्चात उपस्थित महानुभावों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया एवं कार्यक्रम की समाप्ति की घोषणा की गई.
गोडीजी महाराज जैनमंदिर द्विशताब्दी महामहोत्सव संपन्न
राष्ट्रसंत आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. की गौरवशाली शुभ सन्निधि में मनाया गया श्री गोडीजी जैन मंदिर मुंबई का गौरव पर्व संपूर्ण भारतवर्ष के जैन मंदिरों में गौरवरूप गोडीजी पार्श्वनाथ जैन मंदिर, पायधुनी, मुंबई का ऐतिहासिक द्विशताब्दी महामहोत्सव गौरव पर्व दिनांक १५/०४/२०१२ से ०२/०५/ २०१२ तक अनेक धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ पूर्ण धार्मिक वातावरण में मनाया गया. १८ दिवसीय ऐतिहासिक महामहोत्सव परम पूज्य राष्ट्रसंत आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज साहब की गौरवशाली शुभ सान्निध्य में विविध धार्मिक अनुष्ठानों एवं पूजनोत्सव के साथ सम्पन्न हुआ.
२०० वर्ष पूर्व पायधुनी में निर्मित श्री गोडीजी जैन मंदिर के निर्माण में जैन शासन को समर्पित श्रेष्ठीवर्य श्री मोती शाह का अतुलनीय योगदान रहा था. विशेष प्रकार की लकड़ियों से निर्मित मंदिर आज जीर्णोद्वार होते-होते श्वेत संगमरमर पत्थर के भव्य एवं विशाल जिनालय के रूप में परिवर्तित हो चुका है. तीन मंजिले मंदिर में अनेक मनमोहक व नयनरम्य प्रतिमाएँ विराजमान हैं, जो हृदय में वैराग्य भाव जागृत करते हैं. यहाँ का विशाल उपाश्रय देश भर के उपाश्रयों में प्रमुख है. श्री गोडीजी ट्रस्ट द्वारा अनेक सामाजिक कार्यों का सुचारु रूप से संचालन किया जाता है. श्री गोडीजी जैन मंदिर ट्रस्ट मुंबई महानगर के श्रीसंघों में अग्रणी है. अनेक प्रतिमाओं से सुशोभित जिनालय का द्विशताब्दी महामहोत्सव मुंबई महानगर के लिये ऐतिहासिक घटना रूप बनी रहेगी.
"
इस पावन अवसर पर परम पूज्य राष्ट्रसंत आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज साहब के शिष्यप्रशिष्यों में मुख्यतः पूज्य पंन्यास श्री देवेंद्रसागरजी म. सा. पूज्य पंन्यास श्री हेमचंद्रसागरजी म. सा., पूज्य गणिवर्य श्री प्रशांतसागरजी म. सा. पूज्य मुनिवर श्री विमलसागरजी म. सा. आदि ठाणा की मंगलकारी उपस्थिति रही. इस कार्यक्रम में मुंबई में उपस्थित अनेक पूज्य साधु-साध्वीजी म. सा. भी पधारे देश के विभिन्न भागों से अनेक श्रीमान विद्वानों ने उपस्थित होकर इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई.
For Private and Personal Use Only