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મે ૨૦૧૨
कैलास श्रुतसागर ग्रंथसूचि का विमोचन
कैलास श्रुतसागर ग्रंथसुचि खंड ९ से १२ का विमोचन दिनांक २१ अप्रैल, २०१२ को गोडीजी पार्श्वनाथ जैन मंदिर, मुंबई के द्विशताब्दी महा-महोत्सव के शभ अवसर पर राष्ट्रसंत आचार्य श्री पर
राष्ट्रसंत आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज साहब की शुभ सन्निधि में भव्य समारोह पूर्वक किया गया. इस मंगलमय अवसर पर अनेक पूज्य साधुसाध्वीजी भगवंत एवं देश के विभिन्न भागों से आये श्रीमान व विद्वान उपस्थित थे.
गुरुवंदना के पश्चात् सरस्वती वंदना की गई. श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा के प्रमुख श्री सुधीरभाई महेता ने उपस्थित महानुभावों का स्वागत करते हुए कहा कि पूज्य राष्ट्रसंत आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज साहब की प्रेरणा से निर्मित श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र आज जैन समाज के लिए गौरव रूप श्रुत सेवा प्रदान कर रहा है. ज्ञानमन्दिर में संग्रहित हस्तलिखित ग्रन्थों की सूक्ष्मतम व अत्यन्त उपयोगी सूचनाओं से परिपूर्ण सूचीपत्र के ९ से १२ तक चार खंडों को एक साथ प्रकाशित कर श्रीसंघ के समक्ष प्रस्तुत करते हुए मैं अपार हर्ष की अनुभूति कर रहा हूँ. हमें पूर्ण विश्वास है कि गोडीजी पार्श्वनाथ प्रभु की कृपा और पूज्य आचार्यश्री का आशीर्वाद हम पर इसी तरह बना रहेगा तथा हमारे ट्रस्टीगण एवं कार्यकर्तागण और अधिक तीव्रगति से कार्य को पूर्णता प्रदान करने में सक्षम हो पाएँगे.
थरत्ल चतुष्टय के विमोचन व श्रुतभक्ति के इस ऐतिहासिक शुभ प्रसंग पर देश भर से आये विद्वानों एवं श्रीमानों का बहुमान श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा एवं श्री गोडीजी मंदिर, मुंबई के ट्रस्टीगण द्वारा श्रीफल, शाल एवं स्मृतिचिन्ह (MOMENTO) प्रदान कर किया गया. उपस्थित महानुभावों में श्री संवेगभाई लालभाई, श्री रसिकभाई एम. धारीवाल, श्री दिनेशचंदजी बोथरा, श्री अजितचंदजी बोथरा, श्री सोनाचंदजी वैद, श्री गौरवभाई शाह, श्री सुधीरभाई महेता, श्री चंद्रप्रकाशजी अग्रवाल, श्री श्रीयकभाई, श्री प्रेमलभाई कापडिया, श्री गोडीजी मैनेजिंग कमिटी के ट्रस्टीगण, श्री सुरेशभाई दलाल, श्री चीमनभाई पालीताणाकर, श्रीमती जयवंतीबहन महेता, श्री वेणु गोपाल धूत आदि महानुभावों का बहुमान किया गया. इस अवसर पर ज्ञानमंदिर कोबा के कार्यकर्ताओं एवं मुंबई के श्री वसंतभाई आदि पंडितजी का भी बहुमान किया गया.
कैलास श्रुतसागर ग्रंथसूचि के चारों खंडों का विमोचन परम गुरुभक्त श्री रविचंदजी बोथरा के भाई श्री दिनेशचंदजी बोथरा, सुपुत्र श्री अजितचंदजी बोथरा एवं श्री सोनाचंदजी वैद के करकमलों द्वारा संपन्न हुआ. चारों खंडों में खंड ९ के प्रकाशन में श्री आणंदजी कल्याणजी ट्रस्ट, अहमदाबाद, खंड १० के प्रकाशन में श्री भवानीपुर जैन श्वेतांबर संघ, कोलकाता, खंड ११ के प्रकाशन में श्रीमती तारादेवी हरखचंदजी कांकरिया परिवार, कोलकाता तथा खंड १२ के प्रकाशन में श्री सांताक्रुज जैन तपगच्छ संघ, मुंबई का सहयोग प्राप्त हुआ. __ पूज्य पंन्यासप्रवर श्री देवेंद्रसागरजी म. सा. ने अपने आशीर्वचन में श्रुत संवर्द्धन-संरक्षण के महान कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि वास्तव में श्रुत सेवा ही जिन सेवा है. पूज्य मुनिराज श्री विमलसागरजी म. सा. ने विमोचन समारोह के संचालन में सहयोग करते हुए अपने आशीर्वचन में कोबा ज्ञानमंदिर की विशिष्टताओं का परिचय दिया तथा कहा कि आज कोबा ज्ञानभंडार भारत के समृद्ध ग्रंथालयों में अग्रगण्य है. यहाँ की वाचक सेवा को देखकर विद्वान चकित रह जाते हैं. मैं आपसे केवल इतना ही कहूँगा कि लक्ष्मी और सरस्वती दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, इसलिए दोनों की भक्ति समान रूप से करें. जब तक आप सरस्वती की आराधना करते रहेंगे, तबतक वीतराग परमात्मा द्वारा प्रतिपादित श्रुतज्ञान समाज को नई दिशा प्रदान करता रहेगा.
पूज्य आचार्य भगवंत श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज साहब ने अपने मंगल प्रवचन में कहा कि कोबा में जिनशासन को समर्पित संस्था के निर्माण में मेरे पुज्य गुरुदेव आचार्य श्री कैलाससागरसूरिजी महाराज की प्रेरणा
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