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हैं. व्यंजन के साथ स्वर होने पर इनको स्वर चिह्नों के द्वारा लिखने की अनूठी पद्धति अन्य लिपियों में नहीं दिखती, आर्य कुल की भाषाओं की ध्वनियों को व्यक्त करने के लिये इसमें किसी प्रकार के परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है. आलेखन माध्यम
प्राचीन काल में लेखन के लिये विभिन्न माध्यमों का उपयोग होता था, जैसे कि पाषाण, ताम्रपत्र, लाखपत्र, ताड़पत्र, भोजपत्र, कागज एवं वस्त्र, जिन्हें प्रदर्शित किया गया है. परन्तु पोथी लेखन के लिये अंतिम चार माध्यम लोकप्रिय थे. ताड़पत्र के साथ-साथ भोजपत्र का भी प्रचलन था. __भोजपत्र बहुत ही कोमल माध्यम होने से उस पर लिखे ग्रंथ मिलना अति दुर्लभ है. वस्त्र पर आलेखित पोथियाँ बहुत कम प्राप्त हुई है. कागज पर लिखने की परंपरा भारत में १२वीं शताब्दी से प्रारम्भ हुई जो निरन्तर चली आ रही है. आलेखन तकनीक
लिखने के लिये कई प्रकार के साधनों का प्रयोग किया जाता था. ताड़पत्र पर लिखने से पहले उसकी सतह को दो या तीन भागों में विभाजित किया जाता था. लेखन के बीच के रिक्त स्थान पर छेद कर पत्रों को धागों से पिरोया जाता
था. भारत में लिखने के लिये कलम-स्याही का प्रयोग प्राचीनकाल से प्रचलित था. लेकिन बाद में दक्षिण भारत में शलाका-कलम से ताड़पत्र पर कुरेद कर लिखने की परंपरा का विकास हुआ. कुरेदे हुए अक्षरों को सुवाच्य बनाने के लिये वस्त्र पोटली द्वारा स्याही भर दी जाती थी. कागज पर लिखने से पहले उसे कोड़ा या हकीक से घोंटकर उसकी सतह को चिकनी बनाई जाती थी. लिखने से पहले रेखापाटी द्वारा रेखाएँ समानान्तर रूपसे उत्पन्न की जाती थी जो लेखिनी का मार्गदर्शन करती थी. कलम के लिये प्रायः बरु का प्रयोग किया जाता था. इसके अतिरिक्त हासियों की रेखा खींचने के लिये लोहे की कलम (जुजवळ) का उपयोग होता था. इनके अलावा आंकणी (फुटपट्टी), कागज काटने के लिये चाकू, लेखनपाटी, विभिन्न प्रकार की दवातें आदि अनेक प्रकार के साधनों का उपयोग करते थे. पोथी लिखने के लिये प्रायः पक्की स्याही का प्रयोग किया जाता था. जिसके कारण सैंकड़ों वर्ष बीत जाने के बावजूद भी प्राचीन ग्रन्थ आज तक सुरक्षित रहे हैं.
ओळिया प्राचीन लेखन सामग्री
कलम आलेखन संरक्षण
ताड़पत्रीय पोथियों की सुरक्षा के लिये उसके प्रत्येक पत्रों को धागे से पिरो कर पोथी के ऊपर-नीचे एक-एक
પાઠ કર્યા. મોઠ કાષ્ટાંગ યોગ, અાઠ મહારાદ્ધિ, ગાઠશોગદષ્ટિ અને યાણ અનુયોગની હાdી આવા છમીણ ગુણોથી યુxt
આચાર્યોને વંદન
| રાજુ
છે. રજનીકાન્ત એes કંપની, મુંબઈ