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पंन्यास प्रवरश्री अमृतसागरजी भाचार्यपद प्रदान
महोत्सव विशेषांक
आदिनाथ ___प्राचीन काल में मथुरा जैनकला का महत्वपूर्ण केन्द्र था. शुंग-कुषाण युग में मथुरा में जैन परंपरा के अनुसार जिन प्रतिमाओं का अंकन प्रारंभ हो चुका था. प्रारम्भ से मध्ययुग तक परिवर्तन की श्रृंखला में प्रतिमाएँ सुंदर रूप से अंकित होने लगी थी. साहित्य एवं अभिलेखों के प्रमाण के आधार पर मथुरा के अंतर्गत कंकाली टीला में एक प्राचीन स्तूप था. जिसके अवशेष विपुल प्रमाण में प्राप्त हुए हैं. यह सामग्री ई.. पूर्व २-३री शताब्दी से वि. सं. ११०० के मध्य की हैं. इनमें आयागपट्ट, जिनप्रतिमाएँ, सर्वतोभद्र प्रतिमाएँ व तीर्थंकरों के जीवन दृश्यों के अंकन महत्वपूर्ण
इसके अलावा पारेवा पत्थर से निर्मित पद्मासनस्थ प्रतिमा तीर्थकर नेमिनाथ की है, जो प्रायः ७वीं शताब्दी की है. दो प्रतिहार्य (त्रिछत्र एवं गद्दी) युक्त इस प्रतिमा
के पार्श्व में पहाड़ी एवं वृक्ष का अंकन, मुख के तीनों ओर वस्त्र-तोरण का अंकन, गद्दी के मध्य में धर्मचक्र, दोनों ओर शंख एवं सिंहाकृतियों का अंकन किया गया है. शरीर रचना में अंगो का पारस्परिक सम्बन्ध स्वाभाविक लगता है. नेमिनाथ (१०वीं सदी)
नालंदा से प्राप्त प्रतिमाएँ उस युग की सौंदर्य-चेतना का प्रतिनिधित्व करती है. इन तीर्थंकर प्रतिमाओं में प्राचीन परंपरा से कहीं अधिक प्रगतिशील स्थूलता को सरलता से रेखांकन करने का प्रयत्न किया गया है. एक प्राणवान रूप प्रदान करने की भावना सभी प्रतिमाओं में दिखाई देती है. जहाँ कही मूर्तियों में प्राचीन परंपरा दिखाई देती है वह कुषाण कालीन मथुरा शैली के प्रभाव के कारण है, समग्र रूप से ये प्रतिमाएँ उत्तर और मध्य भारत के अन्य क्षेत्रों की कलाकृतियों के सदृश है.
इस शिल्प खंड में प्राचीनतम प्रतिमाओं में बलुआ पत्थर से निर्मित द्वारपाल की प्रतिमा प्रदर्शित है, जो लगभग ई. सन ३री शताब्दी की है. उसके ऊपरी भाग में शिल्पांकित मत्स्य प्रतिमा के कुषाणकालीन होने का प्रमाण है. - विभिन्न प्रदेशों से प्राप्त विभिन्न शैलियों में विविध सामग्रियों में निर्मित जिनमंदिर
की बारसाख, स्तंभ, तोरण, वाद्ययुक्त शालभंजिकाएँ, देव-देवियाँ एवं स्वद्रव्य निर्मित जिनमंदिरों का शिल्प आदि आकर्षक कलाकृतियों को रोचक ढंग से प्रदर्शित किया गया है.
પાંય .પાંય યાર, પાંય મહાdd, પાંચ વયવહાણ, પાંચ માથાર, પાંય રાdia, પણ હતાશાય અને રોડ રાંવેગલની પાવા છગીરણ ગુણોથી યુક્ત
આચાર્યોને વંદન
| સોજબ)
eiઘવી એક્ષપોર્ટ, મુંબઈ
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