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पन्यास प्रवरश्री अमृतसागरजी भाचार्यपद प्रदान' महोत्सव विशेषांक
Peory
अजात शत्रु आचार्य प्रवर श्री कैलाससागरसूरीश्वरजी की निश्रा में संयम पूर्वे अनुमोदना
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परिवर्तन का शंखनाद किर्तीसागरसूरीजी के वरद हस्तों से
भवतारक रजोहरण ग्रहण
प्रभु समक्ष महाप्रण का आनंद दीक्षा विधि में तल्लीन
जो विस्मृत पाठ को याद कराते हैं, अशुद्ध पढ़ते हुए को रोकते हैं, अध्ययन के लिए प्रेरित करते हैं। और जो नहीं पढ़ते उन्हें कठोर वचन से प्रेरित करने वाले
आचार्यों को भावभरी वंदना.
• सौजन्य ●
सी. महेन्द्र एक्षपोर्ट, मुंबई
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