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________________ आशातना न हो जाए, इस हेतु पूर्ण सावधानी रखनी चाहिये. इस प्रकारगुरु की भक्ति करनी चाहिए. शयन रात्रि के दूसरे प्रहर में सोना चाहिये. देर रात तक जागना स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होता है. सोने का उचित समय रात १० बजे तक का माना गया है. सोते समय चित्त को स्थिर कर सात बार नमस्कार महामंत्र का स्मरण करना चाहिए तथा उसके बाद जब तक नींद न आये तब तक धर्म चिन्तन या पंच परमेष्ठियों का स्मरण करना चाहिए अथवा निम्नलिखित श्लोक का स्मरण करते रहना चाहिए अर्हन्तः शरणं संतु जिनधर्मो मे साधवः पंन्यास प्रवरश्री अमृतसागरजी भाचार्यपद प्रदान महोत्सव विशेषांक सिद्धाश्च शरणं मम शरणं सदा । खामि सव्व जीवे सव्वे जीवा खमंतु मे मित्ति मे सव्य भूएस वेरं मज्झं न केणई । पश्चात् निम्नलिखित भावना को मन में धारण कर अपने दिनचर्या को समाप्त करनी चाहिये. यदि इस रात्रि में मेरा आयुष्य पूर्ण हो जाये, तो आहार, वस्त्र आदि उपाधि और यह शरीर सबका मन, वचन, काया से त्याग करता हूँ. मैं अकेला हूँ, मेरा कोई नहीं है, मैं भी किसी का नहीं हूँ, इस प्रकार दीनता के भाव छोड़कर मैं आत्मा का अनुशासन करता हूँ. ज्ञान-दर्शन से युक्त शाश्वत ऐसी मेरी आत्मा एक ही है. इसके अलावा पुत्र, पैसा आदि सभी भाव बाह्य है और वह सब कर्म के संयोग से लगे हुए है. कर्म के संयोग से जीव को दुःखों की परंपरा प्राप्त होती है. इसलिए सर्वप्रकार के संयोग संबंध का मैं मन, वचन, काया से त्याग करता हूँ. अरिहंत और सिद्ध मेरे देव हैं, साध्वाचार के पालक और धर्म के उपदेशक ऐसे सुसाधु मेरे गुरु हैं, जिनेन्द्रों की कही बातें तत्त्व हैं. इस प्रकार शुद्ध सम्यक्त्व को मैं जीवन के अंत तक धारण करता हूँ. मैं सभी जीवों को क्षमा प्रदान करता हूँ और मुझे सभी जीव क्षमा प्रदान करें. सिद्ध को साक्षी रखकर मैं अपने पापों की आलोचना करता हूँ. मुझे किसी भी व्यक्ति के साथ वैर नहीं है. कर्म से परवश सभी जीव चौदह राजलोक में भटकते हैं. उन सभी को मैंने क्षमापना दी है, वे भी मुझे क्षमा प्रदान करें. जिन-जिन पापों को मैंने मन से बांध लिया है, जिन-जिन पापों को मैंने वचन से बांध लिए हैं और जिन-जिन पापों को मैंने काया से बांध लिए हैं, वे सभी पाप मिथ्या हो.. 159 अंश 'भद्रबाहु संहिता
SR No.525262
Book TitleShrutsagar Ank 2007 03 012
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoj Jain
PublisherShree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2007
Total Pages175
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size32 MB
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