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________________ पंन्यास प्रवरश्री अमृतसागरजी भाचार्यपद प्रदान महोत्सव विशेषांक इमरजेंसी के समय भारत के प्रधानमंत्री को राष्ट्रहित में मार्गदर्शन. जैनएकता, संगठन व जैन कॉन्वेन्ट-स्कूलों के सफल प्रेरणादाता. इक्कसवीं सदी में महान श्रुतोद्धार का कार्य किया. दक्षिण भारत का कायाकल्पः दक्षिण भारत की यात्रा के दौरान आचार्यश्री ने इस क्षेत्र को एक नई दिशा दी. बरसों बाद दक्षिण भारत में धर्म आराधना व ज्ञान की मंद धारा तेजी से बहने लगी. बेंगलोर चेन्नई ,मैसूर,दावणगेरे,हुबली,निपाणी,मड़गाँव,कोल्हापुर आदि जैन संघों के प्रति किए गए आपके उपकार चिरस्मरणीय हैं. श्रीमती इन्दिरा गाँधी व तत्कालीन उपराष्ट्रपति श्री बी.डी. जत्ती आपके दर्शानार्थ आये. कर्नाटक के तत्कालीन डी.जी. श्री जी. वी. राव ने पूज्यश्री के परिचय में आकर मांसाहार आदि व्यसनों का त्याग कर दिया. गोवा प्रदेश के इतिहास में सैकड़ों वर्ष बाद जिनालय की भव्य अंजनशलाका-प्रतिष्ठा आपकी पावन निश्रा में सम्पन्न. ऐतिहासिक कार्यः वालकेश्वर(मुम्बई) श्रीसंघ को जैन परंपरा और सिद्धान्त का मार्गदर्शन किया. श्रीसंघ ने यह निर्णय किया कि भगवान को अर्पित द्रव्य का उपयोग अन्य कार्यों में नहीं किया जाएगा. श्रीसंघ ने आपको सम्मेतशिखर तीर्थोद्धारक के बिरूद से सम्मानित किया. राष्ट्रपति श्री शंकरदयाल शर्माजी ने राष्ट्रपति भवन में आपके पावन पदार्पण कराके आशीर्वाद ग्रहण किया. राष्ट्रपति भवन में आपका अद्भुत स्वागत किया गया. काठमाण्डू (कमल पोखरी) में आपकी निश्रा में श्री महावीरस्वामी जिनमन्दिर की भव्यातिभव्य प्रतिष्ठा हुई. आपकी निश्रा में विश्व हिन्दू महासभा का अधिवेशन काठमाण्डू में सम्पन्न हुआ, जिसमें विश्व के १४ देशों से अग्रणी हिन्दू प्रतिनिधियों ने भाग लिया था. भारतवर्ष की पवित्र भूमि हरिद्वार में प्रथम जिनमन्दिर रूप श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ की भव्य अंजनशलाका-प्रतिष्ठा कराई. पूज्यश्री की प्रेरणा से जोधपुर नरेश श्री गजसिंहजी ने महल में पिछले ४०० सालों से चली आ रही दशहरा के दिन भैंसे की बलि की प्रथा बंद करवाई. जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक युवक महासंघ, जैन डॉक्टर्स फेडरेशन एवं जैन चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट विंग की स्थापना आपकी प्रेरणा से हुई, जो पूरे भारत के जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघों को अपनी विशिष्ट सेवाएँ प्रदान कर रही है. सात भय से रहित, सातों संसार के ज्ञाता तथा सप्तविध गुप्तोपदेशक आचार्यों को शत-शत नमन. आचार्यों को भावभरी वंदना. हर्षदराय प्रा. लि., मुंबई 14
SR No.525262
Book TitleShrutsagar Ank 2007 03 012
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoj Jain
PublisherShree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2007
Total Pages175
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size32 MB
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