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पंन्यास प्रवरश्री अमृतसागरजी अाचार्यपद प्रदान
महोत्सव विशेषांक
श्री काकटुर तीर्थ श्री गुम्मिलेरू तीर्थ
०८६१-२३८३४१ ०८८५-२३४०३७
श्री मयुरस्वामी भगवान श्री चिंतामणी पार्श्वनाथ भगवान
उत्तरप्रदेश श्री शांतिनाथ भगवान श्री विमलनाथ भगवान श्री संभवनाथ भगवान श्री चिंतामणी पार्श्वनाथ भगवान श्री नेमीनाथ भगवान श्री चिंतामणी पार्श्वनाथ भगवान श्री पार्श्वनाथ भगवान श्री धर्मनाथ भगवान श्री पद्मप्रभस्वामी भगवान श्री अजितनाथ भगवान श्री आदिनाथ भगवान श्री पार्श्वनाथ भगवान श्री सुपार्श्वनाथ भगवान श्री श्रेयांसनाथ भगवान श्री चंद्रप्रभस्वामी भगवान
श्री हस्तिनापुर तीर्थ श्री कम्पिलाजी तीर्थ श्री श्रावस्ति तीर्थ श्री आग्रा तीर्थ श्री सौरीपुर तीर्थ श्री हरिद्वार तीर्थ श्री अहिरछत्रा तीर्थ श्री रत्नपुरी तीर्थ श्री कौसम्बि तीर्थ श्री अयोध्या तीर्थ श्री परिमताल तीर्थ श्री भेलुपुर तीर्थ श्री भदैनी तीर्थ श्री सिंहपुरी तीर्थ श्री चंद्रपुरी तीर्थ
०१२३३-२८०१४० ०५६९०-२७१२८९ ०५२५२-२६५२१५ ०५६२-२५४५५९ ०५६१४-२३४७१७ ०१३३-२४२५२६३
०५२७८-२३२११३ ०५३२-२४००२६३ ०५४२-२७५४०७,२२१०१० ०५४२-२७५४०७ ०५४२-२५८५०१७ ०५४२-२६१५३१६ साभार - 'जैन रोड एटलस'
तो४ वन सण अने सार्थ बने... જો દેહ રોગ રહિત બને અને વચન ક્રોધ રહિત
ન બને વ્યવહાર માયા રહિત બને અને જીવન હિંસા રહિત બને ઇન્દ્રિયો વાસના રહિત બને અને
____५रिति भय २डित बने.
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