SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 3
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र - कोबा तीर्थ का मुखपत्र श्रुत सागर web site : www.kobatirth.org आशीर्वाद : राष्ट्रसंत आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी अंक : ११, भाद्रपद वि. सं. २०५९, सितम्बर २००३ : संपादक: मनोज जैन डॉ. बालाजी गणोरकर 3 ज्ञानतीर्थ की उपमा प्राप्त विश्व का सबसे विशाल व सुसज्ज जैन ज्ञानभण्डार आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर में संगृहीत हस्तप्रतों के विशालतम संग्रह का दुनिया में सर्वप्रथम बार अनूठी पद्धति से तैयार किये गए कैलास श्रुतसागर-जैन हस्तलिखित ग्रंथसूची के प्रथम खंड का विमोचन आधुनिक युग के इस विशिष्ट एवं विलक्षण जैन ज्ञानतीर्थ में दो लाख से ज्यादा प्राचीन हस्तप्रतें तथा ३००० से ज्यादा ताड़पत्रीय ग्रंथ सुरक्षित हैं. छोटे-छोटे गाँवों में अस्त-व्यस्त पड़े, नष्टप्राय स्थिति को प्राप्त बिखरे हुए ज्ञान-सागर को विषम कलिकाल में महान श्रुतोद्धारक जैनाचार्य प.पू. श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. ने अपने अब तक के एक लाख किलोमीटर से ज्यादा लम्बे विहार के दौरान एकत्रित करवा कर भारत में ही सुरक्षित एवं संरक्षित करने का अनुपम प्रयास किया है, इस दिशा में समुचित प्रयास न किया जाता तो इनके नष्ट होने या विदेशों में स्थानान्तरित होकर विलुप्त हो जाता. आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज की पावन प्रेरणा व शुभाशीर्वाद से समयबद्ध कार्यक्रम के तहत संस्था में सुरक्षित अपनी प्राचीन धरोहर रूप आगम, न्याय, दर्शन, योग, साहित्य, व्याकरण, ज्योतिष, आयुर्वेद, इतिहास-पुराण, कला एवं स्थापत्य आदि विषयों से सम्बन्धित मुख्यतः जैन धर्म एवं साथ ही बौद्ध व अन्य साहित्य से संबद्ध हस्तप्रतों के रूप में रहे हुए शास्त्र ग्रंथों का अपने आप में अनोखे ढंग के बहु उपयोगी कम्प्यूटर आधारित विस्तृत सूचीकरण (केटलॉगिंग) का कार्य विगत एक दशक से महत्तम गति से चल रहा है. इस डाटाबेस को करीब ५० खंडों में केटलॉग के रूप में प्रकाशित करने की योजना है. इस बहुजनोपयोगी महत्वाकांक्षी योजना के तहत आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर दशाब्दी महोत्सव के अवसर पर केटलॉग के प्रथम भाग को प्रकाशित किया जा रहा है. अन्य भागों को भी समयानुकूल क्रमबद्ध कार्यक्रम के तहत प्रकाशित किया जाएगा. प्रकाशित हो रहे इस केटलॉग में आज-कल की सामान्य पद्धति से हटकर हस्तलिखित ग्रंथों की विशेष सूचनाएँ दी गई (Scribe), लिखवाने तथा प्रेरणा हैं जैसे हस्तप्रत क्रमांक, आचार्यश्री कैलाससागरसरि ज्ञानमंदिर | करने वाले महानुभावों के नाम, दशवर्षीय गतिविधियों का विवरण हस्तप्रत नाम, साईज, पंक्ति, | प्रति से संबंधित दशा, पृष्ठ - १६ पर अक्षर, लेखन वर्ष, लहिया | विशेषतादि कोडिंग के साथ ही - For Private and Personal Use Only
SR No.525261
Book TitleShrutsagar Ank 2003 09 011
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoj Jain, Balaji Ganorkar
PublisherShree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2003
Total Pages44
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy