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श्रुत सागर, भाद्रपद २०५९
इसे पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जा सकेगा. ६. देश के प्रमुख ज्ञानभण्डारों की महत्वपूर्ण हस्तप्रतों के संकलित सूचीकरण हेतु पूज्य श्रुतस्थविर
मुनिराज श्री जंबूविजयजी म.सा. का प्रोजेक्ट : १. पाटण, खंभात, लिंबडी, जेसलमेर, पूना आदि भंडारस्थ अत्यावश्यक महत्वपूर्ण जैन एवं जैनेतर ताडपत्रीय व कागज पर लिखी विशिष्ट प्राचीन हस्तप्रतों को पूज्य श्रुतस्थविर मुनिवर श्री जम्बूविजयजी म.सा. के निर्देशन के अन्तर्गत श्रीसंघ के अनुपम सहयोग से उपरोक्त भंडारों की
अपेक्षित हस्तप्रतों की माइक्रोफिल्मिंग व जेरॉक्सिंग करायी गयी थी. २. इन भंडारों के विविध सूचीपत्रों का मिलान कर एक सम्मिलित सूचीपत्र तैयार करने का सौभाग्य
आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर को प्राप्त हुआ. कार्य अपने आप में बिल्कुल ही दुरूहतम था, पर अशक्य नहीं. दो चरणों में संपन्न इस संकलित सूची के विविध ग्यारह प्रकार से प्रिंट लिए गए जो लगभग २२०० पृष्ठों में समाविष्ट हैं . इसके अलावा अन्य विकल्प से भी लगभग १३००० पृष्ठों के प्रिन्ट व जेरॉक्स पूज्यश्री को उपलब्ध कर दी गई है. यह कार्य पूर्ण करने में
तीन वर्षों का समय लगा. ७. विविध प्रकार के कम्प्यूटर आधारित प्रोग्रामों का निर्माण : १. जैन विद्या में स्वशिक्षण के लिए नवीन प्रोग्राम विकसित करने की शृंखला में नवकार मन्त्र के
गूढ़ रहस्यों व अर्थों को इस तरह सरलता एवं सहजता से समझाने के लिए कम्प्यूटर पर एक प्रोग्राम विकसित किया गया है, जिसके द्वारा कोई भी व्यक्ति बहुत ही कम समय में इसे समझ
कर सीख सकता है. प्रकाशन के क्षेत्र में यहाँ नए आयाम प्रस्तुत किये गये हैं. २. डबल एन्ट्री नामक प्रोग्राम के तहत संस्कृत-प्राकृत आदि ग्रंथों की प्रूफ रीडिंग की जरूरत
नहिवत् रह जाती है. ३. वर्ड इन्डेक्स प्रोग्राम में शब्द, गाथा, श्लोक आदि की अकारादि अनुक्रम के निर्माण की उलझनें
स्वतः समाप्त हो जाती है और महीनों तक चलने वाला कार्य कुछ ही दिनों में हो जाता है. ४. जैन धार्मिक ट्रस्टों के हिसाब-किताब के लिए विशेष प्रकार से Financial Accounting
Package तैयार किया गया है. जिससे शास्त्रानुसार देव-द्रव्य सहित सातों क्षेत्रों का हिसाब व्यवस्थित तौर पर रखा जा सकता है. ५. जैन संघ के एक मात्र सीमंधरस्वामी प्रत्यक्ष पंचांग का गणित पूर्ण शुद्धिपूर्वक करने का प्रोग्राम भी
मुख्य तौर पर यहीं विकसित किया गया है. ८. आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरिजी, आचार्य श्री भद्रगुप्तसूरिजी, आचार्य श्री पद्मसागरसरिजी आदि विरचित पुस्तकों का कम्प्यूटरीकरण, यथावश्यक प्रकाशन एवं उन्हें Web पर रखने का कार्य : १. पूज्य आचार्य श्रीमद् बुद्धि सागरसूरिजी की परमात्मा श्री महावीरस्वामी से सम्बन्धित पद्यमय रचनाओं का संकलन रूप आतम ते परमातमा परमातम ते वीर नामक प्रकाशन हेतु रचनाओं का
चयन, प्रविष्टि, संपादन एवं प्रूफरीडिंग आदि कार्य विशेष तौर पर संपन्न हुआ. २. पूज्य आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वजी के प्रवचनों के निम्नलिखित प्रकाशनों की कम्प्यूटर प्रविष्टि
तथा संपादन कार्य हुआ :- संवाद की खोज, प्रतिबोध, संशय सब दूर भये, पद्मपराग, हे नवकार महान, मित्ती मे सव्वभूएसु, मोक्ष मार्ग में बीस कदम, कर्मयोग (आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरि
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