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श्रुत सागर, भाद्रपद २०५९
परिणामतः यह ज्ञानतीर्थ जैन एवं भारतीय विद्या का विश्व में अग्रणी केन्द्र बन गया है. अभी इस संग्रह को और इतना समृद्ध करने की योजना है कि जैन धर्म से सम्बन्धित कोई भी जिज्ञासु यहाँ पर अपनी ज्ञान-पिपासा परितृप्त करके ही जाय.
यह विभाग जैन ग्रन्थों के अध्ययन एवं अध्यापन की भी सुविधा उपलब्ध कराता है. भारत भर में यत्र-तत्र विहार कर रहे पूज्य साधु-भगवन्तों तथा स्व- पर कल्याणक गीतार्थ निश्रित सुयोग्य मुमुक्षुओं को उनके अध्ययन-मनन के लिए यहाँ संगृहित सूचनाएँ, संदर्भ एवं पुस्तकें उपलब्ध करने के साथ ही दुर्लभ ग्रंथों की लगभग ४२,२४९ पन्नों की फोटोस्टेट प्रतियाँ भी निःशुल्क उपलब्ध करायी गई है. विविध विषय जैसे प्राचीन भाषाएँ, शास्त्र, आयुर्वेद, गणित, ज्योतिष, वास्तु, शिल्प, विविध कलादि ज्ञान-विज्ञान, लुप्त हो रही ज्ञानसंपदा तथा नवीन सिद्धियाँ यथा कृति, प्रकाशन, पारम्परिक तकनीकी ज्ञान-विज्ञान आदि जिज्ञासु जन-मानस को उपलब्ध किया जाता है.
ग्रंथालय के वाचकों में प्रमुख रूप से सम्पूर्ण जैन समाज के साधु-साध्वीजी भगवन्त, मुमुक्षु वर्ग, श्रावक वर्ग, देशी-विदेशी संशोधक, विद्वान एवं आम जिज्ञासु सम्मिलित हैं. श्रमणवर्ग को उनके चातुर्मास स्थल तथा विहार में भी पुस्तकें उपलब्ध कराई जाती हैं. वाचकों हेतु अध्ययन की यहाँ पर सुन्दर व्यवस्था है. एक दशक में इस विभाग में हुई प्रगति का विवरण इस प्रकार FO
१. पुस्तक संग्रहण :
१,०४,५८४ ३८९१
पुस्तकें दाताओं की ओर से भेट में प्राप्त हुई हैं. पुस्तकें प्रकाशकों तथा पुस्तकविक्रेताओं से क्रय की गईं. इस प्रकार अभी तक कुल पुस्तकें संग्रहित की गईं.
१,०७,५००
८०,००० पुस्तकों पर आवेष्टन चढ़ाकर ग्रंथनाम लिखने का कार्य हुआ. ८५,००० पुरानी पुस्तकों का फ्यूमिगेशन किया गया.'
२. ग्रंथ परिक्रमण (वाचक सेवा) :
७३६
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वाचक संस्था से पुस्तक आदि अध्ययन हेतु ले जाते है. इनमें १४७ पूज्य साधुभगवन्त, ११७ पूज्य साध्वीजी, ४४ संशोधक एवं विद्वान आदि एवं ४२८ अन्य वाचक शामिल हैं.
४०,००० पुस्तकें संस्था में वाचकों द्वारा अध्ययन की गईं
२१,४५४ पुस्तकें इश्यु की गईं.
१९,९०६ पुस्तकें वापस आईं.
३. प्रत्यालेखन (फोटोकापी) विभाग : दस्तावेजों व विविध सामग्री की प्रतिलिपि छापने के लिए यहाँ पर एक Ricoh Afficio 270 Digital Printer cum Copier तथा एक Kodak Ektaprinter 90 Copier मशीनें है. इन मशीनों का निम्नलिखित सदुपयोग किया गया.
४२, २४९ पन्नों की फोटोस्टेट प्रतियाँ पूज्य साधु-साध्वीजी भगवंतों को निःशुल्क प्रदान की
गईं.
६०,६३२ पन्नों की फोटोस्टेट प्रतियाँ देश-विदेश के विद्वानों, संशोधकों तथा छात्रों को सशुल्क उपलब्ध की गईं.
४३,६०५ पन्नों की फोटोस्टेट प्रतियाँ ज्ञानमंदिर के उपयोगार्थ निकाली गईं.
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