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श्रुत सागर, भाद्रपद २०५९
१७ गति से चल रहा है. उपर्युक्त कार्य सम्पन्न करने के लिए दूरंदेशी पूज्य विद्वान गुरुभगवंतों की देखरेख में ८ पंडित, २ प्रोग्रामर व ७ सहायकों की टीम पूरी निष्ठा से लगी हुई है. इस विशालकाय संग्रह को समयानुसार लोकाभिमुख बनाने हेतु विविध प्रयासों के अंतर्गत निम्नलिखित प्रमुख कार्य विगत १० वर्षों में हुए : ९२४०० हस्तप्रतों को अनुक्रमांक दिया जा चुका है व शेष हस्तप्रतों को मिलाने, वर्गीकरण कोडिंग
____ आदि की पूर्व प्रक्रियाएँ चल रही हैं. ८४५५० हस्तप्रतों की प्राथमिक सूचनाएँ कम्प्यूटर पर प्रविष्ट की गई. ८४५५० हस्तप्रतों की विस्तृत सूचनाएँ कम्प्यूटर में प्रविष्ट हुई. १२४८२७ कृतियों के साथ प्रतों का संयोजन हुआ. ६३००० हस्तप्रतों का फ्यूमिगेशन किया गया. ९२४०० हस्तप्रतों की दशा, विशेषतादि लक्षणों की कोडींग हुई है.
९३४ हस्तप्रतों के हजारों पन्नों की जिरॉक्स प्रतियाँ विद्वानों को संशोधनार्थ उपलब्ध कराई गईं. ४. हस्तलिखित शास्त्र सूचीकरण के कम्प्यूटरीकृत डाटा का संपादन व केटलॉग का प्रकाशन
आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर में संग्रहित दो लाख से ज्यादा हस्तप्रतों की कम्प्यूटर पर प्रविष्ट सूक्ष्मातिसूक्ष्म सूचनाओं के डाटा को संपादित करने व प्रमाणित करने का कार्य बड़े पैमाने पर चल रहा है. इस कार्य के अंतर्गत प्रविष्ट आंकड़ों की सूक्ष्मातिसूक्ष्म छान-बीन, शुद्धि तथा वैधता आदि की परीक्षा की जाती है, संपादित व प्रमाणित होने से ही सूचनाओं को समय पर उचित पद्धति से शुद्धातिशुद्ध रूप में प्राप्त किया जा सकेगा तथा इन कम्प्यूटरीकृत सूचनाओं को १७ विविध प्रकार की सूचियाँ बनाकर अनुमानित ७०० पन्नों के एक ऐसे ७० (५० मुख्य सूची + २० परिशिष्ट) से ज्यादा भागों में क्रमशः प्रकाशित करने की योजना है. इस प्रोजेक्ट में अब तक कार्य की प्रगति निम्नलिखित है : १४५६ कृति परिवारों की ५१३७ कृतियाँ प्रमाणित की गईं. ४८३३ कृतियों की सूचनाओं का संपादन किया गया. ३१०४ आदि वाक्यों का संपादन किया गया. २१४७ अंतिम वाक्यों का संपादन किया गया
६३६६ विद्वान नामों का संपादन किया गया. ५. अन्य भंडारों में उपलब्ध विशिष्ट हस्तप्रतों की प्रतिलिपियों का संग्रहण : पूज्य जंबूविजयजी द्वारा
करवाइ गई पाटण आदि मुख्य भंडारों में रहीं विशिष्ट ताडपत्रीय आदि प्रतों की झेरोक्स प्रतियां भी
हजारों की संख्या में यहाँ उपलब्ध की गई है. (२) आर्य सुधर्मास्वामी श्रुतागार (ग्रंथालय) :
प्रभु श्री महावीरस्वामी के पट्टधर आर्य सुधर्मास्वामी को समर्पित यह विभाग विविध माध्यमों से मुद्रित; जैसे शिलाछाप (लिथो), मुद्रित (प्रिन्टेड) पुस्तकें तथा प्रतें, इलेक्ट्रानिक मिडिया में कैसेट, सी.डी. आदि व सामायिक पत्र-पत्रिकाओं का व्यवस्थापन करता है. यहाँ पर संग्रहित १,०७,५०० से ज्यादा पुस्तकों को २७ विभागों में रखा गया है. इन ग्रंथों की भाषा प्रायः संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, गुजराती, राजस्थानी, ढुंढारी, मराठी, बंगाली, उड़िया, मैथिली, पंजाबी, तमिल, तेलगु, मलयालम, परशियन आदि होने के साथ ही हजारों की संख्या में विदेशी भाषा जैसे अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, अरबिक, परशियन, तिब्बतन, भूटानी आदि भी है.
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