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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इस प्रतिमा को बनवानेवाला मोढ ज्ञातीय होने से लेख ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है. नाप (से.मी.) ऊँचाई - १७ लंबाई - १२ चौड़ाई - ६.५ १३. आदिनाथ - एकतीर्थी प्रतिमा - विक्रम संवत १३३१ (परिग्रहण क्र. १६) आदिनाथ की अष्टप्रतिहार्य युक्त इस प्रतिमा में अन्य प्रतिमाओं से अलग कुछ नई विशेषताएँ है जिनमें प्रतिमा की पीठिका के दोनों छोर पर बने लंब चतुष्कोण आधार पर अंकित अष्टग्रह, सिंहासन के दोनों छोर पर यक्ष-यक्षिणी के अंकन नहीं है पर उनके स्थान पर दो चतुष्कोण के अंकन किए गए हैं. जिन पर सूर्य जैसा रेखांकन किया गया है. प्रतिमा के पीछे दंडधारी सेवक का अंकन महत्वपूर्ण है जो किसी विशेष गच्छ या स्थान की विशिष्टता है. प्रतिमा लेख में किसी गच्छ या स्थान का नाम अंकित नहीं किया गया है. संवत १३३१ वैशाख सुदि १ सोमै श्री प्राग्वाट ज्ञातीय महं. रूपासुत महं. साग(म)न्देन श्री आदिनाथ बिंब कारितं प्रतिष्ठितं. नाप (से.मी.) ऊँचाई - २१ लंबाई - १४ चौड़ाई - ८.५ १४. तीर्थंकर पार्श्वनाथ - पंचतीर्थी प्रतिमा - विक्रम संवत १३५३ (परिग्रहण क्र. ७७) तीर्थंकर पार्श्वनाथ की यह प्रतिमा अन्य प्रतिमाओं से विशेष है. इस प्रतिमा में एक-दो प्रतिहार्य को छोड़कर अन्य प्रतिहार्य एवं किन्नर-गांधर्व आदि के अंकनों का अभाव है जो इस काल की अन्य प्रतिमाओं में होते है. दो नागफणा के आधार पर पद्मासनस्थ मुद्रा में तीर्थंकर विराजित है, घुटने थोड़े नीचे की ओर झुके हुए हैं. तीर्थंकर के दोनों ओर कायोत्सर्ग मुद्रा में दो तीर्थंकर छत्र युक्त, सप्तफणों के दोनों ओर पद्मासनस्थ मुद्रा में दो तीर्थंकर, पीठिका के मध्य में नवग्रह एवं दोनों छोर पर दो यक्षिणियों के अंकन किए गए हैं. परिकर के ऊपरी भाग में स्तूपी पी खंडित हो चुकी है. सं. १३५३ वै. सु. १३ __ श्री पार्श्व बिंब कारितं श्री __ ग्रा. गच्छे श्री श्री चंद्रसूरिभिः । प्रतिष्ठितं. नाप (से.मी.) ऊँचाई - ८ लंबाई - ८ चौड़ाई -३ १५. पार्श्वनाथ की एकतीर्थी प्रतिमा - विक्रम संवत १३७४ (परिग्रहण क्र. ४६) द्विपीठिका पर आसीन तीर्थंकर पार्श्वनाथ अष्टप्रतिहार्य युक्त है. प्रथम पीठिका पर सिंहासन के दोनों छोर पर यक्ष-यक्षिणी, द्वितीय पीठिका पर मध्य में धर्मचक्र एवं दोनों ओर नवग्रह व पीठिका के भूतल पर मध्य में लांछन सर्प का अंकन किया गया है. संवत १३७४ वर्षे माघ सुदि १० गुरौ उकेसीय वंशे साधु तिहुण सुत भीमसीह भा. डाकेनबाई खे(षे)न्द्र श्रेयसे श्री पार्श्वनाथ बिंब का. प्रतिष्ठितं श्री परमानंदसूरिभिः नाप (से.मी.) ऊँचाई - १४ लंबाई - ९ चौड़ाई - ५.५ १६. आदिनाथ की एकतीर्थी प्रतिमा (परिग्रहण क्र. ९१) तीर्थंकर आदिनाथ अष्टप्रतिहार्य एवं द्विपीठिका युक्त, प्रथम पीठिका पर धर्मचक्र, नवग्रह एवं यक्ष-यक्षिणी, द्वितीय पीठिका के दोनों छोर पर श्रावक-श्राविका आदि का अंकन है. इस पर सं. १३९१ वर्षे प्रा. ज्ञा. श्रे. केलण भा. भोपल पु. _ _ उभादेन _ लजी_ _पित्रो श्रेयसे श्री _ दि. बि. का. प्र. श्री सर्वदेवसूरिभिः लेख अंकित है. ___ नाप (से.मी.) ऊँचाई - ११ लंबाई - ६.५ चौड़ाई - ४ श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र परिसर में स्थित सम्राट संप्रति संग्रहालय में जैन धर्म एवं भारतीय संस्कृति के गौरवमय भव्य अतीत का दर्शन कर भविष्य को संवारने जिज्ञासुओं को आमंत्रण है. १४ For Private and Personal Use Only
SR No.525260
Book TitleShrutsagar Ank 2000 01 010
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoj Jain, Balaji Ganorkar
PublisherShree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2000
Total Pages16
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size1 MB
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