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________________ गुजराती अनुवाद :___परंतु हे सुभगे! पूर्वमा जे कांई अशुभ कर्म कर्यु हो, तेना परिणाम थी आ मोटुं संकट आवी पडओँ छ। हिन्दी अनुवाद : परन्तु हे सुन्दरी! पूर्व में जो कोइ अशुभ कार्य तुमने किया था उसी के परिणामस्वरूप यह भारी दुःख आया है। गाहा : ता अन्न-भव -विढत्ते दुक्खम्मि समागयम्मि को सोगो!। किं वावि विलविएणं सरीरायास-भूएणं? ।।२१।। संस्कृत छाया : तस्मादन्यभवार्जिते दुःखे समागते कः शोकः ? । किं वापि विलपितेन, शरीरायासभूतेन ? ।।२१।। गुजराती अनुवाद : तेथी अन्य अवमा उपार्जन करेल दुःखनी प्राप्तिमां शोक करवो शा कामनो? तथा शरीरने पीड़ा थाय तेवा विलाप बड़े शुं? हिन्दी अनुवाद : . इसलिए दूसरे जन्म में उपार्जित दुःख होने से इसमें शोक करने का कोई काम नहीं और शरीर को पीड़ा हो, ऐसा विलाप करने से क्या फायदा?? गाहा : एत्तो उ समासन्ने अच्छइ अम्हाण आसमो रम्मो। आगच्छ सुयणु! अणुचियमेयं ठाणं जओ तुज्झ ।।२२।। संस्कृत छाया :इतस्तु समासन्ने आस्तेऽस्माकमाश्रमो रम्यः । आगच्छ सुतनो ! अनुचितमेतत्स्थानं यतस्तव ।।२२।। गुजराती अनुवाद :__अहीथी अमारो मनोहर आश्रम नजीक ज छे. हे सुतनु! त्यां तु आव, कारण के अहीं ताहरे रहे, अनुचित छे!
SR No.525096
Book TitleSramana 2016 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2016
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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