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________________ संस्कृत छाया : नूनं निष्ठुररूपं शब्दं श्रुत्वा यस्य प्रतिबुद्धाः । तेनैवापहृतः, पिशाचरूपेण केनापि ।।७।। गुजराती अनुवाद : जफर, जेना निष्ठुरतायुक्त शब्द सांभळी ने हुं जागी, ते ज कोई पिशाचे तेनु अपहरण कर्यु हशे. हिन्दी अनुवाद : निश्चय ही जिसके शब्द सुनकर मैं जगी थी, उसी पिशाच ने तुम्हारा अपहरण किया होगा। गाहा: जस्स पभावाओ तया सहसा गयणाओ गय-वरो पडिओ। सोवि मणी अकयत्थो जाओ मह मंद-भायाए ।।८।। संस्कृत छाया : यस्य प्रभावात् तदा, गगनाद गजवरः पतितः । सोऽपि मणिरकृतार्थो, जातो मम मन्दभागायाः ।।८।। गुजराती अनुवाद : जेना प्रभावथी तरत ज आकाशमाथी हाथी नीचे पडयो, ते दिव्य मणि पण मंद भाग्यवाळी मारा माटे असफळ (असमर्थ) थयो। हिन्दी अनुवाद : जिसके प्रभाव से तुरन्त हाथी आकाश से नीचे गिर पड़ा वह दिव्य मणि भी मुझ मंद भाग्यवाली के लिए असफल हो गयी है। गाहा : जं कंठ-निबद्धेवि हु तम्मी अंक-डिओवि हा पुत्त! । हरिओ निक्करुणेणं केणावि अदिस्स-रूवेण ।।९।। संस्कृत छाया : यत् कण्ठनिबद्धेऽपि खलु, तस्मिन्नङ्कस्थितोऽपि हा पुत्र ! । हृतो निष्करुणेन, केनाऽप्यश्यरूपेण ।।९।।
SR No.525096
Book TitleSramana 2016 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2016
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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