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62 : श्रमण, वर्ष 67, अंक 2, अप्रैल-जून, 2016 अर्धमागधी जैन आगम साहित्य के प्रमुख विन्दुओं पर ससन्दर्भ प्रकाश डाला। इस अवसर पर पार्श्वनाथ विद्यापीठ, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र तथा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रमुख विद्वज्जन उपस्थित थे। ____पार्श्वनाथ विद्यापीठ के आगामी अकादमिक आयोजनः १. त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन- पार्श्वनाथ विद्यापीठ द्वारा २७-२९ अगस्त २०१६ को "Assemilative and Composite Character of Jaina Art : Its Socio-Cultural Relevance in Modern Society" विषयक एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। संगोष्ठी के आयोजन के लिए 'भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली तथा संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त हुई है। इस संगोष्ठी में पूरे देश से पधारे जैन कला के विशिष्ट विद्वानों द्वारा तीन दिन तक जैन कला और उसकी सामाजिकसांस्कृतिक उपादेयता पर गहन चिन्तन-मनन होगा। इस संगोष्ठी के आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रसिद्ध कलाविद् प्रो० मारुति नन्दन प्रसाद तिवारी, प्रो० इमरीटस, कला इतिहास विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी हैं। इस संगोष्ठी में सहभागिता हेतु पंजीयन शुल्क शिक्षकों के लिए रु. १५००/- तथा छात्रों के लिए रु १०००/- निर्धारित किया गया है। पंजीयन की अन्तिम तिथि १५ अगस्त, २०१६ तथा शोधपत्र-सारांश भेजने की अन्तिम तिथि ३० जुलाई, २०१६ है। विशेष जानकारी के लिए सम्पर्क सूत्र : डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय, निदेशक संगोष्ठी : 9936179817 डॉ० श्रीनेत्र पाण्डेय, समन्वयक संगोष्ठी: 8874000084
___E-mail : pvpvaranasi@gmail.com
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