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________________ 12 : श्रमण, वर्ष 67, अंक 2 अप्रैल-जून, 2016 अम्बड़ तथा उसके ७०० शिष्य भगवान महावीर के प्रति अगाध श्रद्धा रखते थे, उन्हें ही अपना आराध्य और आदर्श मानते थे। I. उन्हें तालाब, बावड़ी, नदी आदि में प्रवेश करके स्नान करने का त्याग था पर लोच वे भी नहीं करते-करवाते थे। वर्तमान युग में लोच करवाने वालों को क्या इतना त्याग हैं? II. वे किसी गाड़ी, छकड़ा, पालकी आदि की सवारी नहीं करते थे, वाहन त्यागी थे पर लोच तक वे भी नहीं पहुंचे। वर्तमान काल में लोच करवाने वाले श्रावक वाहन का प्रयोग करते हैं, छोड़ा नहीं है। III. वे ऊंट, घोड़ा, हाथी, बैल, भैंस आदि पर नहीं बैठने का नियम रखते थे, फिर भी लोच उनका जीवनांग नहीं था, आजकल के श्रावकों के साथ ऐसा नहीं है। IV. वे नाटक, खेल, तमाशा, ड्रामा आदि नहीं देखते थे। इतनी कठोर साधना के बावजूद लोच तक नहीं गए क्योंकि लोच श्रावक के लिए विहित नहीं है। आज की स्थिति पर भी ध्यान दें। V. हरियाली उखाड़ना, मसलना, इकट्ठा करना उनके लिए निषिद्ध था पर लोच से वे दूर रहे। आज जिनको हरियाली काटने छूने का त्याग नहीं है वे लोच करवा रहे हैं। VI. लोहे, ताम्बे, चांदी, स्वर्ण आदि के बहुमूल्य पात्र उनके लिए वर्जित थे, केवल तुम्बी, लकड़ी और मिट्टी के बर्तनों से जीवन यापन करने वाले वे परिव्राजक गृहत्यागी होकर भी लोच नहीं करवाते थे और आज गृहस्थों ने अनुमति ले ली। VII. उनके वस्त्र गैरिक धातु के अलावा और किसी रंगवाले नहीं हो सकते थे, लेकिन पूर्ण जैन मुनि या श्रमणभूत बने बिना लोच न होने से वे लोच नहीं करवाते थे पर आज लोच करने वाले श्रावकों को काफी छूट मिल रही है। VIII. एक ताम्बे के यज्ञोपवीत के अलावा किसी प्रकार का आभूषण हार, कड़ा, कुण्डल, मुकुट उन्हें पूरी तरह निषिद्ध था, ऐसी संन्यास साधना के पालक परिव्राजक भी लोच को अनिवार्य नहीं मानते थे। लेकिन इस युग के लोच प्रिय श्रावकों को क्या ये नियम हैं? IX. उन्हें फूल, माला आदि का लगभग नियम था। अगरू, चन्दन, केसर आदि सुगन्धित लेप लगाने का प्रत्याख्यान भी था क्योंकि संन्यास में ये चीजें नहीं चलतीं पर केशों का लोच नहीं करवाया। मौजूदा केश लोच करवाने वाले उपरोक्त नियम धारक बने बिना उनसे आगे बढ़ गए।
SR No.525096
Book TitleSramana 2016 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2016
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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