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________________ गुजराती अनुवाद : नैमित्तिके कडूं- 'हे राजन! विद्याधरो ना चक्रवर्तीना सकल अंतःपुर मां श्रेष्ठ तथा अतिवल्लभ देवी थशे.'' हिन्दी अनुवाद : नैमित्तिक ने कहा, 'हे राजन्! विद्याधरों के चक्रवर्ती के पूरे अन्त:पुर में श्रेष्ठ तथा अतिवल्लभ देवी होगी। गाहा :-व्वयणं सोऊणं मणम्मि आणदिएण ताएण । दाऊण भूरि-दव्वं पट्टविओ सुमइ नेमित्ती ।।१९०।। संस्कृत छाया :तद्वचनं श्रुत्वा मनस्यानन्दितेन तातेन । दत्त्वा भूरिद्रव्यं प्रस्थापितः सुमतिर्नमित्तिकः ।।१९०।। गुजराती अनुवाद :__नैमित्तिक नुं ते वचन सांधलीने मनमा आनंद पामेला राजार घणुं द्रव्य आपी ने सुमति नैमिात्तक ने विदाय आपी. हिन्दी अनुवाद : नैमित्तिक का वचन सुनकर मन में आनन्दित राजा ने सुमति नैमित्तिक को अधिक द्रव्य देकर विदा किया। गाहा : अह अन्नया य अहयं परियरिया बहुविहाहिं चेडीहिं । निय-सहि-यण-संजुत्ता पत्ता पुर-बाहिरुज्जाणे ।।१९१।।। संस्कृत छाया : अथान्यदा च अहं परिवृता बहुविधाभिश्चेटीभिः । निजसखीजनसंयुक्ता प्राप्ता पुरबाझोधाने ।।१९१।। गुजराती अनुवाद : प्रियंवदा नुं मिलन हवे कोई समये अनेक प्रकार नी दासीओथी परिवरेली हुं पोतानी सखीओ सहित नगर नी बहार उद्यानमां गई हती।
SR No.525096
Book TitleSramana 2016 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2016
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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