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________________ हिन्दी अनुवाद : पूर्व में किसी दुर्विहित कर्म के विपाक के कारण किसी पिशाचरूप दुश्मन ने मेरा अपहरण किया। गाहा : एत्तियमित्तं भणिउं सोय-समुन्भुय-गरुय मन्नु-वसा । थूलंसुए मुयंती निहुयं रोउं पवत्ता सा ।।१४४।। संस्कृत छाया : एतावन्मानं भणित्वा शोकसमुद्भूतगुरुमन्युवशात् । स्थूलाश्रूणि मुञ्चती निभृतं रोदितुं प्रवृत्ता सा ।।१४४।। गुजराती अनुवाद : आटलुं मात्र कहीने तरत ज बहु शोकथी उत्पन्न थयेल संताप वडे अश्रुपात करती जोरथी ते रुदन करवा लागी. हिन्दी अनुवाद : ___ इतना मात्र कहकर तुरन्त उत्पन्न हुए शोक के कष्ट के कारण आँसू बहाते हुए वह जोर-जोर से रोने लगी। गाहा : एत्यंतरम्मि रन्नो अद्धासण-संगयाए देवीए । कमलावईए गहिया रोवंती सा निजुच्छंगे।।१४५।। संस्कृत छाया : अत्रान्तरे राज्ञोऽर्धासनसङ्गतया देव्या । कमलावत्या गृहीता रुदन्ती सा निजोत्सङ्गे ।। १४५।। गुजराती अनुवाद : स्टलामां राजानां अर्धासने बठेली देवी कमलावतीस रुदन करती ते बालाने पोतानां खोळामां लइ लीधी. हिन्दी अनुवाद : इतने में राजा के आधे आसन पर बैठी कमलावती रानी रोती हुई बाला को अपनी गोद में ले ली।
SR No.525096
Book TitleSramana 2016 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2016
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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