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________________ गाहा : ता किं इह पुट्ठाए इमाए वरईए ताव साहेमि । गंतुं वइयरमेयं जहट्ठियं चेव नर-वइणो ।।१२८।। संस्कृत छाया : तत्किमिहपृष्ट्यानया वराक्या, तावत्कथयामि । गत्वा व्यतिकरमेतद् यथास्थितमेव नरपतेः ।।१२८।। गुजराती अनुवाद :- तेथी अहीं आ विचारीने पुछवानुं कंह कारण नथी, हवे तो राजा पासे जइने आ सर्व हकीकत तेमने ज जणावं. हिन्दी अनुवाद : इसलिए यहाँ ऐसा विचार कर पूछने का कोई कारण नहीं है। अब तो राजा के पास जाकर इस सम्पूर्ण हकीकत को उनसे ही बताना चाहिए। गाहा :इय चिंतिऊण तत्तो आसासित्ता सुमहर-वयणेहिं । आणीया निय-गेहे समप्पिया सा स-भज्जाए ।।१२९।। संस्कृत छाया :- इति चिन्तयित्वा तत आवास्य सुमधुरवचनैः । आनीता निजगेहे समर्पिता सा स्वभार्यायै ।।१२९।। गुजराती अनुवाद : सप्रमाणे विचारीने त्यारयाद सुमधुर वचनो वडे तेने आश्वासन आपीने मारा घरे लइ आव्यो. अने मारी पत्नीने सोंपी छे. हिन्दी अनुवाद : ऐसा विचार कर उसके बाद मधुर वचनों से, उसे आश्वासन देकर मेरे घर ले आया और मेरी पत्नी को सौंप दिया। गाहा :निय-परियणं च सव्वं सरीर-संवाहणाइ-वावारे । तीए निउइऊणं समागओ देव-पासम्मि ।।१३०।।
SR No.525096
Book TitleSramana 2016 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2016
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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