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हिन्दी अनुवाद :
एक दिन एकान्त में आभूषण ले मेरे पास आकर कहने लगा। हे सुन्दरी! यह आभूषण ग्रहण करो, आभूषण के बिना तुम अच्छी नहीं लगती। गाहा :
तं देव-दिन-कुंडल-पमुहं सव्वंपि नियय-आभरणं ।
परियाणिऊण विम्हिय-हियाए मए इमं भणिओ ।।६७।। संस्कृत छाया :
तद् देवदत्तकुण्डलप्रमुखं सर्वमपि निजकाभरणम् ।
परिज्ञाय विस्मितहृदयया मयेदं भणितः ।।६७।। गुजराती अनुवाद :
- देवतास आपेल कुंडल वि. सर्वे मारा अलंकार जोइने आश्चर्यपूर्वक में तेने कह्युहिन्दी अनुवाद :
देवता द्वारा मुझे दिए गए कुंडल वगैरह समस्त आभूषण देखकर आश्चर्य पूर्वक मैंने उससे कहा। गाहा :
एयाई कुओ तुमए पत्ताई सुरह! मज्झ साहेसु । सो भणइ सुणसु सुंदरि! पुव्वं मह भिल्ल-पुरिसेहिं ।।६८।। इह अडवीइ समिद्धो कुसग्गपुर-पत्थिओ वणिय-सत्यो।
गहिओ तहिं च पत्तं एयं तुह जोग्गमाभरणं ।।६९।। संस्कृत छाया :
एतानि कुतस्त्वया प्राप्तानि सुरथ ! मह्यं कथय । स भणति शृणु सुन्दरि ! पूर्व मम भिल्लपुरुषैः ।।६८।। इहाटव्यां समृद्धः कुशाप्रपुर-प्रस्थितो वणिक्सार्थः ।
गृहीतस्तदा च प्राप्तमेतत्तव योग्यमाभरणम् ।।६९।। युग्मम्।। गुजराती अनुवाद :
हे सुरथ! आ अलंकारो तने क्याथी मळ्या ते मने कहे त्यारे तेणे कहूं.'हे सुंदरी! सांधळ, पूर्वे मारा भिल्ल पुरुषो वडे