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________________ हिन्दी अनुवाद : अत: मेरे द्वारा इन्हें अपने नगर में पहुँचाना सम्भव नहीं है। उस प्रकार का दूसरा कोई सार्थ भी यहाँ नहीं आया है। गाहा : एसा सुकुमाल-तणू अच्छइ किच्छेण इत्थ वण-वासे । ता जइ तुमं पराणसि स-ट्ठाणं होइ ता लढें ।।५८।। संस्कृत छाया : एषा सुकुमारतनुरास्ते, कृच्छ्रेणात्र वनवासे । तस्माद् यदि त्वं पराणयसि, स्वस्थानं भवति तदा लष्टम् ।।५८।। गुजराती अनुवाद :____ आ सुकोमल शरीरवाळी कष्टपूर्वक वनमा रही छे. तेथी जो तुं तेना स्थाने पहोचाडे तो सुंदर थाय । हिन्दी अनुवाद :____ यह सुकोमल शरीरवाली रानी बड़े कष्ट से बन में रह रही है। इसलिए यदि तुम इन्हें अपने स्थान पर पहुँचा दो तो बहुत अच्छा होगा। गाहा :___ अह सुरहेणं भणियं भयवं! जं भणह तं करेमित्ति । __ गंतुं सयमेव अहं अप्पिस्सं अमरकेउस्स ।।५९।। संस्कृत छाया : अथ सुरथेण भणितं भगवन् ! यद् भणत तत् करोमीति । गत्वा स्वयमेवाहमर्पिष्याम्यमरकेतवे ।।५९।। गुजराती अनुवाद : त्यारे सुरथे कहो-'हे भगवन्! आप जे आज्ञा को ते करीश. हुं त्यां जईने जाते ज अमरकेतु राजा ने समर्पित करीश। हिन्दी अनुवाद : तब सुरथ ने कहा, 'हे भगवन्! आप जैसी आज्ञा देंगे वैसा करूँगा। वहाँ जाते ही अमरकेतु राजा को इन्हें समर्पित कर दूंगा।
SR No.525096
Book TitleSramana 2016 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2016
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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