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________________ गाहा :- अविय। जह जह ओक्खंचिज्जइ तह तह वेगं पगिण्हमाणेण । भयवं! तुरंगमेणं इहाणिओ आसमे तुम्ह ।।५१।। संस्कृत छाया : अपि चयथा यथाऽऽकृष्यते तथा तथा वेगं प्रगृह्णता । भगवन् ! तुरङ्गमेणेहानीत आश्रमे तव ।।५१।। गुजराती अनुवाद : .. अने वळी जेम-जेम लगाम खेचतो गयो तेम तेम वधारे वेगने ग्रहण करतो ते घोड़ो मने तमारा आश्रममा लाव्यो. हिन्दी अनुवाद : और जैसे-जैसे मैं लगाम खींचता गया वैसे-वैसे वह और तेज होता गया और यह मुझे आपके आश्रम में ले आया। गाहा : एवं च जाव साहइ सो सुरहो कुलवइस्स वुत्तंतं । तुरयमणुमग्ग-लग्गं ताव य सिन्नपि से पत्तं ।। ५२।। संस्कृत छाया : एवञ्च यावत् कथयति, स सुरथः कुलपतेर्वृत्तान्तम् । तुरगमनुमार्गलग्नं तावच्च सैन्यमपि तस्य प्राप्तम् ।।५२।।। गुजराती अनुवाद : ___आ प्रमाणे ज्यां ते सुरथ, कुलपतिने वृत्तांत जणावे छे तेटलीवारमा तो अश्वनी पाछळ लागेलु सैन्य पण त्यां आवी गद्यु। हिन्दी अनुवाद : ___ इस प्रकार जब तक सुरथ कुलपति को वृत्तान्त बताता है उतनी देर में उसके .. पीछे लगे सैनिक भी वहाँ आ पहुँचे। गाहा : अह भणियं सुरहेणं भयवं! वच्चामि नियय-ठाणम्मि । जं किंचि मए इण्हिं कायव्वं तं च आइससु ।। ५३।।
SR No.525096
Book TitleSramana 2016 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2016
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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