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________________ भारतीय दार्शनिक परम्परा में पारिस्थितिकी : जैन परम्परा के विशेष सन्दर्भ में डॉ. श्रीप्रकाश पाण्डेय भारतीय संस्कृति मूलतः दो संस्कृतियों का समन्वित रूप है - एक ब्राह्मण या वैदिक संस्कृति दूसरा श्रमण संस्कृति । श्रमण संस्कृति का प्रतिनिधि दर्शन जैन दर्शन केवल तर्क पर आधारित सैद्धान्तिक विवेचन मात्र नहीं अपितु एक जीवन शैली है, विधि है, मार्ग है। दोनों ही परम्पराओं ने प्रकृति के साथ मानव का अन्योन्याश्रित सम्बन्ध माना है। पर्यावरण सिद्धान्त प्रकृति और मानव के इन सम्बन्धों और परस्परता का अध्ययन करता है। पारिस्थितिकी पर्यावरण और जैविक घटक के अन्तः सम्बन्धों को व्याख्यायित करने वाला सिद्धान्त / विज्ञान है । पर्यावरण क्या है-'परित: आवृणोतीति पर्यावरणम्' इसके अनुसार जो चारो ओर से हमें आवृत्त करता है - वह पर्यावरण है। अतः हमारे चतुर्दिक जो कुछ भी है वह हमारा सम्पूर्ण पर्यावरण या परिस्थिति है। पर्यावरण अंग्रेजी शब्द 'Environment' का हिन्दी रूपान्तर है जो लैटिन शब्द 'Environ' से बना है जिसका अर्थ है आसपास की वस्तुस्थिति, परिस्थिति या प्रभाव । पारिभाषिक रूप में 'पर्यावरण' शब्द जीवों की अनुक्रियाओं को प्रभावित करनेवाली समस्त अजैवीय तथा जैवीय परिस्थितियों का योग है। दूसरे शब्दों में इसे पारिस्थितिकी भी कहा जाता है । परि + स्था + क्तिन् से परिस्थिति शब्द व्युत्पन्न होता है। इसी से पारिस्थितिकी शब्द बना है जिसे अंग्रेजी में Ecology कहते हैं। Ecology जैविक घटक और पर्यावरण के अन्तः सम्बन्धों का अध्ययन करने वाला विज्ञान है। टेलर के शब्दों में पारिस्थितिकी समस्त जीवों के उनके समस्त पर्यावरणों से समस्त प्रकार के सम्बन्धों के अध्ययन का विज्ञान है। पर्यावरण ‘जिन घटकों से बनता है वे हैं- पृथ्वी, अग्नि, जल, आकाश तथा वनस्पति। यह एक अविभाज्य समष्टि है जिसका निर्माण अजैविक एवं जैविक घटकों के परस्पर क्रियाशील तन्त्रों से होता है। यदि इन दोनों में पारस्परिक क्रियाशीलता न हो तो दोनों पक्ष जैविक और अजैविक एक दूसरे के लिये अर्थशून्य हो जायेंगे। मनुष्य को प्रकृति और संस्कृति के बीच में ही जीना है । जीवन एक प्रकार की विराट प्रकृति की लघु प्रतिकृति है । प्रकृति प्रदत्त है और संस्कृति का निर्माता मनुष्य स्वयं है । अजैविक घटकों को हम सामान्यतः तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं: - (१) स्थल मण्डल (Lithosphere), (२) जल मण्डल (Hydrosphere) (३) वायु मण्डल (Atmosphere)। अत: पर्यावरण वातावरण का वह भाग है जहाँ जीवधारी
SR No.525095
Book TitleSramana 2016 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2016
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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