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24 : श्रमण, वर्ष 67, अंक 1, जनवरी-मार्च, 2016
(सुभूति नाममाला, भूमिका, पृष्ठ १२ कच्चायनभेदटीका से उद्धृत) कच्चायन को लक्षण, वृत्ति और उदाहरण का कर्ता कहा गया है।
-कच्चायन व्याकरण की भूमिका, पृष्ठ ५४-५५ (१) यो करोति स हेतु - कच्चायन व्याकरण, सूत्र २८४ (२) तत्प्रयोजको हेतुश्च - अष्टाध्यायी, १.४.५५ (१) आलपने च - कच्चायन व्याकरण, सूत्र २८७ (२) सम्बोधने च - अष्टाध्यायी, २.३.४७
कच्चायन व्याकरण, भूमिका, पृष्ठ ५१-५२ संदर्भ पुस्तकें
कच्चायन व्याकरण (पालि व्याकरण)- लक्ष्मीनारायण तिवारी एवं बीरबल शर्मा, तारा बुक एजेन्सी, कमच्छा, वाराणसी, द्वितीय संस्करण, १९८९ अष्टाध्यायी सूत्रपाठ- पुष्पा दीक्षित, संस्कृत भारती, माता मन्दिर गली, झण्डेवाला, नई दिल्ली-११००५५, सन् २०१० अष्टाध्यायी- पं. ईश्वरचन्द्र, चौखम्बा संस्कृत प्रतिष्ठान, ३८ यू. ए., जवाहरनगर, बंगलो रोड, पो बॉक्स नं. २११३, दिल्ली-११०००७, सन् २००९ संस्कृत-व्याकरण में कारकतत्त्वानुशीलन (पाणिनितन्त्र के संदर्भ में)- डॉ. उमाशंकर शर्मा 'ऋषि', चौखम्बा सुरभारती प्रकाशन, के. ३७/११७, गोपालमन्दिर लेन, पो. बॉक्स न. ११२९, वाराणसी-२२१००१, प्रथम संस्करण, सन् १९९४