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भारतीय दार्शनिक परम्परा में पारिस्थितिकीः जैन परम्परा के विशेष सन्दर्भ में : 5. व्यक्ति के लिये अलग शौचालय होता है और एक बार फ्लश करने पर ८-१० लीटर पानी का अपव्यय होता है। आज हम विकास की अंधी दौड़ में नदियों, जलाशयों पर बड़े- बड़े बांध बनाकर जल के स्वाभाविक प्रवाह को रोक रहे है। उद्योंगों के अपशिष्ट को नदियों में प्रवाहित कर उनको प्रदूषित कर रहे हैं। पतित पावनी नदियां मैला ढोने का कार्य कर रही है तथा रोज सूख रही है। पानी का स्रोत भी दिन पर दिन कम हो रहा है। एक अनुमान के अनुसार आने वाले १८ वर्षों मे ५० प्रतिशत पानी की कमी होगी। वनस्पति प्रदूषण-वनस्पतियां भारत की अमूल्य निधि है। भारत में वनस्पतियों की कुल ४५०० प्रजातियां हैं। वनस्पतियों का पर्यावरण संतुलन में बहुत बड़ा हाथ है। आज शहरी विकास के नाम पर लगातार जंगल काटे जा रहे है। बढ़ते उद्योगों में लकड़ियों का प्रयोग लगातार हमारी वनसम्पदा का ह्रास कर रही हैं। भारत में प्रति व्यक्ति वन सम्पदा ०.०८ हेक्टेयर है जबकि प्रति व्यक्ति इसे ०.४७ हेक्टेयर होना जरूरी है। १९९० तक विश्व के २.४ प्रतिशत वनों का विनाश हो चुका था। करीब ५०००० किलोमीटर जंगल प्रति वर्ष नष्ट हो रहे है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण २५ प्रतिशत पौधों का अस्तित्व संकट में है। वनस्पतियों के कटाव के कारण भूमि कटाव का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। किन्तु हम वनस्पतियों का लगातार दोहन कर रहे है। ध्वनि प्रदूषण- ध्वनि प्रदूषण अनेक प्रकार के वाहनों, कल कारखानों के सायरन, विमानों की आवाज, अत्यधिक शोर के साथ बजने वाले लाउडस्पीकर तथा अनेक प्रकार की मशीनों के कारण होता है। अधिक तेज ध्वनि से मनुष्य की श्रवण शक्ति का ह्रास होता है। ध्वनि प्रदूषण हृदयरोग, उच्चरक्तचाप, तनाव, कुण्ठा, चिड़चिड़ापन, बहरापन का कारण बनता जा रहा है। ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव स्वरूप कभी-कभी स्नायु तन्त्रों पर इतना जोर पड़ता है कि मनुष्य पागल हो जाता है। रेडियो धर्मिता प्रदूषण- यह प्रदूषण परमाणु शक्ति उत्पादन केन्द्रों और परमाणु परीक्षण के फलस्वरूप अस्तित्व में आया है। विस्फोट के समय उत्पन्न रीडियोधर्मी पदार्थ वायुमण्डलं की बाह्य परतों में प्रवेश कर जाते हैं तथा बाद में ठंडे तथा संघनित होकर बूदों या ओस के रूप में बहुत छोटे-छोटे धूलकणों के रूप में वायुमण्डल में प्रदूषण फैलाते हैं। यह मानव की न केवल आज बल्कि आनेवाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य के लिये भी अत्यन्त घातक है।