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पार्श्वनाथ विद्यापीठ समाचार : 45 ने अपने व्याख्यान में दश प्रकार के प्राणों का विवेचन करते हुए १०८ प्रकार की हिंसा एवं प्रश्नव्याकरण सूत्र में वर्णित अहिंसा के ६० नामों के आधार पर उसे विध्यात्मक प्रत्यय रूप सिद्ध किया। अहिंसा के विध्यात्मक पक्ष के रूप में उन्होंने दया और दान को परिभाषित करते हुए चार प्रकार की दया और दश प्रकार के दान का भी सविस्तार विवेचन किया। उपरोक्त व्याख्यानों के बाद ९ दिसम्बर २०१५ को प्रतिभागियों द्वारा विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र प्रस्तुत किये गये जिनके आधार पर श्री शिव प्रकाश यादव, इतिहास विभाग, का०हि०वि०वि०, वाराणसी को प्रथम, डॉ० भूपेन्द्र शुक्ल, दर्शन एवं धर्म विभाग, का०हि०वि०वि०, वाराणसी को द्वितीय तथा श्री हेमन्त सिंह, प्रा०भा०इ०संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग, का०हि०वि०वि०, वाराणसी को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। कार्यशाला का समापन १० दिसम्बर २०१५ को हुआ। समापन सत्र के मुख्य अतिथि डॉ० रत्नेश वर्मा, क्षेत्रीय सांस्कृतिक अधिकारी, उ०प्र० सरकार, वाराणसी क्षेत्र थे तथा अध्यक्षता प्रो० एस०पी० पाण्डेय, विभागाध्यक्ष, दर्शन एवं धर्म विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने किया। डॉ० रत्नेश वर्मा ने श्रमण एवं वैदिक संस्कृति के अन्तर्सम्बन्धों पर इतिहास की दृष्टि से प्रकाश डालते हुए दोनों संस्कृतियों को एक-दूसरे का पूरक बताया। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिवेश में विविध परम्पराओं का पुनर्मूल्याकंन एवं तुलनात्मक अध्ययन आवश्यक है। प्रो० एस०पी० पाण्डेय ने कहा कि श्रमण परम्परा मूलत: आचार एवं ध्यान प्रधान है। जैन दर्शन के अनेकान्त, अपरिग्रह और अहिंसा का सिद्धान्त तथा बौद्धों का करुणा,मैत्री एवं अष्टांगिक मार्ग का सिद्धान्त भारतीय दर्शन के प्रमुख सिद्धान्तों में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। प्रो० पाण्डेय ने कहा कि इस वैश्विक युग में हमें संकीर्णताओं से उठकर नयी सोच के साथ अध्ययन-अध्यापन करने की आवश्यकता है। इस अवसर पर कार्यशाला के निदेशक डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय ने कहा कि कार्यशालाओं का उद्देश्य ज्ञान के क्षितिज को विस्तीर्ण करना होता है और मुझे पूर्ण विश्वास है कि कार्यशाला में श्रमण परम्परा के इतिहास, दर्शन, संस्कृति, कला और पुरातत्त्व जैसे विविध आयामों पर दिये गये व्याख्यान से प्रतिभागी अवश्य लाभान्वित हुए होंगे। कार्यशाला संयोजक डॉ० श्रीनेत्र पाण्डेय ने कार्यशाला में दिये गये व्याख्यानों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया।