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पवित्र परम्परा संथाराः एक संक्षिप्त चर्चा : 29 ६. २००४ में उत्तम नगर में श्राविका अनारो देवी ने ५४ दिन का संथारा किया। वर्तमान में जयपुर, अजमेर, नौहार के संथारे मीडिया में चर्चित हुए ही हैं। जैनों की चारों सम्प्रदायों में संथारों की एक सुदीर्घ सूची उपलब्ध है क्योंकि संथारा प्रत्येक साधक की शुद्ध, उदात्त भावनाओं का परिपाक है, अंतिम मनोरथ है, साधना के मंदिर का कलश है। आओ इसकी गरिमा को अक्षण्ण रखें। सन्दर्भः
१. उत्तराध्ययन सूत्र, ३६/२६७ २. वही, ३/७ ३. वही, ३/१ ४. वही, ३६/२५१ ५. रत्नकरण्डश्रावकाचार, १२२ ६. वही, २२ ७. उपासकदशांगसूत्र, १/५४ ८. आवश्यकसूत्र, चतुर्थ अध्ययन, प्रतिक्रमण, बड़ी संलेखना पाठ, आगम प्रकाशन
समिति, व्यावर, १९८५, पृ. ८५ ९. तत्त्वार्थसूत्र, ७/३२ १०. उत्तराध्ययनसूत्र, ३६/२५२
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