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किसी समय रात में सोया राजा स्वप्न देखता है कि उत्तर दिशा की ओर से आती हुई कुएं में गिरी आधी म्लान हो गयी पुष्पमाला को मैंने ग्रहण किया और वह माला तुरन्त सुगन्ध से भरी ताजी हो गयी। गाहा
दठूणमिणं सुमिणं पडिबुद्धो चिंतए इमं राया।
एयं हि सुमइ-भणियं दिटुं सुमिणं मए अज्ज ।।१५३।। संस्कृत छाया
छट्वेदं स्वप्नं प्रतिबुद्धचिन्तयतीदं राजा ।
एतद् हि सुमतिभणितं छटं स्वप्नं मयाऽद्य ।। १५३।। गुजराती अनुवाद
१५३. आ स्वप्न जोईने जागेलो राजा आ प्रमाणे विचारे छे के, सुमति निमित्तिया ना कहेवा प्रमाणे मे आजे स्वप्न जोयुं छे. हिन्दी अनुवाद
यह स्वप्न देखकर जाग्रत हुआ राजा विचार करता है कि सुमति के कहने के अनुसार ही आज मैंने स्वप्न देखा है। गाहा
ता होही लहु इण्डिं मज्झ वयंतस्स उत्तर-दिसाए ।
विसम-दसा-पत्ताए देवीए संगमोऽवस्सं ।।१५४।। संस्कृत छाया
तस्मात् भविष्यति लघु इदानीं मम व्रजत उत्तरदिशि ।
विषमदशाप्राप्ताया देव्याः सङ्गमोऽवश्यम् ।। १५४ ।। गुजराती अनुवाद
१५४. (स्वप्नोचित कार्या तेथी अत्यारे उत्तरदिशामां जता विषम परिस्थितिमां आवेली देवीनो अवश्य मने शीघ्र समागम थशे. हिन्दी अनुवाद
इसलिए उत्तर दिशा में जाते हुए विषम परिस्थिति में आती हुई देवी का मुझसे शीघ्र ही मिलन होगा।