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________________ गाहा रे! लेह लेह, धावह एस गओ एस जाइ पुरओत्ति । एमाइ वाहरंतो भिच्च-जणो धाइ पट्ठीए ।।१०८।। संस्कृत छाया रे! लात लात धावत एष गज एष याति पुरत इति । एवमादि व्याहरन् भृत्यजनो धावति पृष्ठे ।। १०८ ।। गुजराती अनुवाद १०८. अरे! अरे! लो...लो.. दोड़ो..दोड़ो...आ हाथी पासे आवी रह्यो छे. इत्यादि बोलतो नोकरवर्ग पाछल दोड़े छे. हिन्दी अनुवाद अरे! अरे! लो दौड़ो। वह हाथी पास आ रहा है, यह कहता नौकरवर्ग पीछे की तरफ दौड़ा। गाहा रायावि हु जाहि कहवि हु धरिउं व चएइ करि-वरं तं तु । ताहे भणिया देवी एस गओ ताव उम्मिट्ठो ।।१०९।। अइवेगओ पयट्टो चाइज्जइ कहवि नो नियत्तेउं । ता उत्तरिमो कहवि हु इयरह अडवीए पाडेही ।।११०।। संस्कृत छाया राजाऽपि खलु यदा कथमपि खलु धर्तुं न शक्नोति करिवरं तन्तु । तदा भणिता देवी एष गजस्तावनिरङ्कुशः ।। १०९ ।। अतिवेगतः प्रवृत्तः शक्यते कथमपि न निवर्तितम् । तस्मादुत्तरावः कथमपि खल्वितरथाऽटव्यां पातयिष्यति ।११०। गुजराती अनुवाद १०९-११०. राजा पण केमे कटीने आ श्रेष्ठ हाथीने वश करवा समर्थ न थयो त्यारे देवीने कह्यु. आ हाथी उन्मत्त थयो छे. अतिवेगवालो थयेलो ते केमे कटीने टोकवो शक्य नथी. तेथी कोई पण ते हाथी परथी उतरी जइस अन्यथा आपणने जंगमां पाडशे.
SR No.525092
Book TitleSramana 2015 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
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