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________________ गुजराती अनुवाद ८४. (राजानी चिंतानो उपाय) हवे राजास कह्यु- हे धनदेव! देवीनी साथे अन्मारो दुःसह वियोग उपस्थित थये छते ते विषयमां शुं करवू जोइस. हिन्दी अनुवाद तब राजा ने कहा 'हे धनदेव! रानी के साथ हमारा दुःसह वियोग उपस्थित हुआ है, इस विषय में क्या करना चाहिए? गाहा किं एत्थ अत्थि कोवि हु पडिघाय-विही सुदुट्ठ-सुविणस्स । भणियं धणदेवेणं न अन्नहा केवलि-गिरा ओ ।।८५।। संस्कृत छाया किमत्राऽस्ति कोऽपि खलु प्रतिघातविधिः सुदुष्टस्वप्नस्य । भणितं धनदेवेन नान्यथा केवलिगिरा ओ ।। ८५ ।। गुजराती अनुवाद ८५. आ अतिदुष्ट स्वप्ननां प्रतिघातनो कोइ पण उपाय अहीं छे. त्यारे धनदेवे कह्यु, 'केवलीधगवंतनुं वचन अन्यथा थतु नथी! हिन्दी अनुवाद इस दुष्ट स्वप्न के प्रतिघात का क्या यहाँ कोई उपाय है? तब धनदेव ने कहा कि केवली भगवन्त का वचन अन्यथा नहीं होता। गाहा तहवि हु एस उवाओ कीरइ मा होज्ज तेण पडिघाओ। मंचय-पडियाण पुणो तहट्ठिया चेव भूमित्ति ।। ८६।। संस्कृत छाया तथापि खल्वेष उपायः क्रियते मा. भवेत्तेन प्रतिघातः । मञ्चकपतितानां पुनस्तथास्थिता एव भूमिरिति ।। ८६ ।।। गुजराती अनुवाद ८६. छतां पण आ सक उपाय कटी शकाय भले तेनाथी प्रतिघात न पण थाय, कारण के मांचडा उपर थी पडेलाने भूमि ज आशरो छे.
SR No.525092
Book TitleSramana 2015 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
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