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________________ गुजराती अनुवाद ६६. त्यारवाद सवारे सभा-मंडपमा जईने राजार जल्दीथी स्वप्न पाठकोने बोलावो ते प्रमाणे आज्ञा की। हिन्दी अनुवाद . उसके बाद सुबह सभामंडप में आकर राजा ने 'शीघ्र स्वप्नपाठकों को बुलाओ, ऐसा आदेश दिया। पाहा तत्य निउत्त-नरेहिं तहेव संपाडियाए आणाए। सामंत-मंति-पुर-नायगेहिं पुन्नम्मि अत्याणे ।।६७।। कय-विणया सुविणन्नू उवविट्ठा अह नरिंद-आसन्ने । घणदेवोवि हुरन्नो आसन्नो चेव उवविट्ठो ।।६८।। संस्कृत छाया- ... तत्र नियुक्तनरैस्तथैव सम्पादितायामाज्ञायाम् । सामन्तमन्त्रिपुरनायकैः पूणे आस्थाने ।। ६७ ।। कृतविनयाः स्वप्नज्ञा उपविष्टा अथ नरेन्द्राऽऽसन्ने । धनदेवोऽपि खल राज्ञ आसन्न एवोपविष्टः ।।६८।।युग्मम्।। गुजराती अनुवाद ६०-६८. (स्वापाठकोर्नु आगमन) नियुक्त लोको वड़े ते ज प्रमाणे आज्ञा पालन कराये छते सामन्तमन्त्री तथा नगरना श्रेष्ठीओथी भरेली सभामां विनयपूर्वक हवे स्वप्नपाठको राजानी नजीक बेठा, धनदेव पण राजानी नजीक ज घेठो. (युग्मम्) हिन्दी अनुवाद नियुक्त लोगों द्वारा उसके अनुसार आदेश पालन कराए जाने पर सामन्त, मन्त्री तथा शहर के श्रेष्ठ लोगों से भरी सभा में स्वप्नपाठक राजा के नजदीक बैठे। धनदेव भी राजा के नजदीक बैठा। गाहा तत्तो रन्ना तेसिं सिट्ठो सुर-दंसणाइ-वृत्तंतो। . पुवुत्तो सव्वीवि हु सुविणग-उवलंभ-अवसाणे ।।६९।।
SR No.525092
Book TitleSramana 2015 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
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