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________________ गुजराती अनुवाद ४८. तो आ कोण हो? वली आना चरणो पण पृथ्वी तलने स्पर्शता नथी. आ प्रमाणे विकल्पो करतो राजा ते देववड़े बोलावायो. हिन्दी अनुवाद तो यह है कौन? इसके पैर भी जमीन को स्पर्श नहीं करते। ऐसा विचार करते हुए राजा ने उस देव से कहलाया। गाहा भो अमरकेउ-नर-वर! उग्ग-तवेणं किलामिओ सि न किं? । एवं भणमाणो सो अब्भुट्टिय राइणा भणिओ ।।४८।। संस्कृत छाया भो अमरकेतुनरवर ! उग्रतपसा क्लान्तोऽसि न किम् ? । एवं भणन् सोऽभ्युत्थाय राज्ञा भणितः ।। ४८ ।। गुजराती अनुवाद ४८. हे अमरकेतु राजा! उय तपथी तुं थाक्यो नथी ने? आ प्रमाणे कडं त्यारे उधो थईने राजा बोल्यो. हिन्दी अनुवाद हे अमर केतु राजा! उग्र तपस्या से कहीं आप थक तो नहीं गए हैं। ऐसा कहे जाने पर उठकर राजा ने कहा। गाहा को सिं तुमं कत्तो वा समागओ कहसु मह महाभाग!? । भणियं सुरेण नर-वर! कहेमि कोऊहलं जइ ते ।। ४९।। संस्कृत छाया___ कोऽसि त्वं, कुतो वा समागतः, कथय मम महाभाग? । भणितं सुरेण नरवर ! कथयामि कुतूहलं यदि ते ! ।। ४९ ।। गुजराती अनुवाद ४९. हे महायागयशाली! तमे कोण छो? क्या थी पधार्या? मने कहो, देव वड़े कहेवायु- हे राजा! जो तने कुतूहल होय तो कहुं?
SR No.525092
Book TitleSramana 2015 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
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