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गाहा
भणियं देवीए तओ सिद्धिणि! तुह चेव होइ उचियमिणं ।
तहवि तुमए भणियं कायव्वमवस्समम्हाणं ।। २३।। संस्कृत छाया
भणितं देव्या ततः श्रेष्ठिनि ! तवैव भवति उचितमिदम् ।
तथापि त्वया भणितं कर्तव्यमवश्यमस्माकम् ।। २३ ।। गुजराती अनुवाद
२३. महाराणीए कहयं हे शेठाणीजी! आ कार्य तमने ज उचित छे. छतां पण तमारा वड़े जे कहेवाय ते अमारे कट्यूँ जोइस. हिन्दी अनुवाद
महारानी ने कहा, 'हे श्रेष्ठि पत्नी! यह कार्य आप करें यही उचित है तथापि आप के द्वारा जो भी कहा जायेगा वह करना हमारा कर्तव्य है। गाहा
गहिऊण निउच्छंगे तं बालं कमल-कोमल-करहिं ।
कमलावईए भणिय सुगंध-गंधे खिवंतीए ।।२४।। संस्कृत छाया
गृहीत्वा निजोत्सङ्गे तं बालं कमलकोमलकराभ्यां ।
कमलावत्या भणितं सुगन्धगन्यान् क्षिपन्त्या ।। २४ ।। गुजराती अनुवाद
२४. कमल समान कोमल हस्तवड़े ते बालकने पोतानी गोदमां ग्रहण कटीने, सुगंधि गंधने प्रसरावती कमलावती राणीस कहा। हिन्दी अनुवाद
कमलके समान कोमल हाथों से बालक को अपनी गोद में लेकर सुगन्ध फैलाती हुई कमलावती रानी ने कहा। गाहा
सिरिकताए जणिओ धणदेवेणं तु बालओ एसो। माऊ-पिउ-अद्ध-नामो सिरिदेवो नाममेयस्स ।। २५।।