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________________ हिन्दी अनुवाद इस प्रकार कर्तव्य का पालन करने वाला वह श्रेष्ठि राजा से भेंट करने के लिए बारहवें दिन राजा के पास पहुंचा। गाहा कय-विणओ धणदेवो भणइ महा-राय! सेट्ठि-वयणेण। देवी-सहिएण तुमे भोत्तव्वं अम्ह गेहम्मि ।।१०।। संस्कृत छाया कृतविनयो धनदेवो भणति महाराज ! श्रेष्ठिवचनेन । देवीसहितेन त्वया भोक्तव्यमस्माकं गेहे ।।१०।। गुजराती अनुवाद १०. करेला विनयवालो धनदेव कहे छ, श्रेष्ठिना वचन बड़े हे महाराज! महाराणी सहित आपे अमारा घरे भोजन करवा पधारवा, छे. हिन्दी अनुवाद विनय पूर्वक धनदेव ने राजा से कहा, आप महारानी सहित हमारे घर भोजन करने हेतु पधारें। गाहा हसिऊं रन्ना भणियं न होइ किं सेठिणो इमं गेहं । पिउ-सरिसो जं सेट्ठी विचिंतगो सयल-रज्जस्स? ।।११।। संस्कृत छाया हसित्वा राज्ञा भणितं न भवति किं श्रेष्ठिन इदं गेहम् ?। पितृसशो यत्श्रेष्ठी विचिन्तकः सकलराज्यस्य? ।।११।। गुजराती अनुवाद ११. हसीने राजास कहयु, श्रेष्ठि तो पिता सन्मान सकल राज्यको हितचिन्तक छे तेथी शुं आ श्रेष्ठिनुं घर न कहेवाय? हिन्दी अनुवाद हँसते हुए राजा ने कहा कि श्रेष्ठि तो सम्पूर्ण राज्य का पिता होता है तो क्या यह घर श्रेष्ठि का नहीं है? .
SR No.525092
Book TitleSramana 2015 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
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