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साहित्य-सत्कार
ग्रन्थ समीक्षा : पुस्तक : जैन दर्शन पारिभाषिक शब्दकोश, मुनि क्षमासागर, मैत्री समूह, प्रथम संस्करण, २००९, द्वितीय संस्करण, २०१४, पृ. ४५३, हार्ड बाउण्ड, मूल्य २२० रुपये, आईएसबीएन-८१-७६२८-०१७-८१। जैन दर्शन के शब्दों की अपनी एक विशिष्ट व्यवस्था है, उनका अर्थ विशेष अध्ययन के उपरान्त ही स्पष्ट हो पाता है। समान्य पाठक कई बार जैन दर्शन का अध्ययन करते समय या धर्मोपदेश आदि सुनते समय शब्दों का. अर्थ स्पष्ट न होने के कारण कठिनाई का अनुभव करते हैं। उन्हें तत्क्षण अर्थबोध हो सके तथा अध्ययन-चिन्तन-मनन में आसानी हो, इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु मुनि क्षमासागर जी द्वारा लगभग १२ वर्षों के अथक प्रयास द्वारा इस शब्दकोश की रचना हुई है। यह शब्दकोश विभिन्न शब्दकोशों की परम्परा में एक छोटा सा कोश है। इसमें जैन तत्त्वज्ञान, आचार-शास्त्र, कर्म सिद्धान्त, भूगोल और पौराणिक विषयों से सम्बन्धित पाँच हजार शब्दों का संकलन कर उनका संक्षिप्त परिचय दिया गया है। यह संकलन अनेक महत्त्वपूर्ण और प्रामाणिक जैन ग्रन्थों के आधार पर किया गया है। ग्रन्थ के अन्त में शब्दों की सन्दर्भ-सूची भी दी गयी है। विशालकाय कोशों की बहुमूल्य सामग्री का संचयन करने वाले इस शब्दकोश की महत्ता और उपयोगिता जैन धर्म और दर्शन में रुचि रखने वाले सामान्य पाठकों के लिए अधिक है।
डॉ०- राहुल कुमार सिंह
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