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________________ ... 'विशेषावश्यकभाष्य' में ज्ञान के सम्बन्ध में 'जाणइ' एवं 'पासइ' ... : 29 ज्ञान के दो भेद हैं- १. इन्द्रिय प्रत्यक्ष और २. नो-इन्द्रिय (सांव्यवहारिक) प्रत्यक्ष। इन्द्रिय (सांव्यवहारिक) प्रत्यक्ष के श्रोत्रेन्द्रियादि पांच और नोइन्द्रिय प्रत्यक्ष के अवधिज्ञान, मन:पर्यवज्ञान और केवलज्ञान ये तीन भेद हैं। तत्त्वार्थसूत्र में इन्द्रिय एवं मन से होने वाले ज्ञान (मति, श्रुत) को परोक्ष और आत्मा से होने वाले ज्ञान को प्रत्यक्ष कहा है। जिनभद्रगणि ने भी पांच ज्ञानों को परोक्ष और प्रत्यक्ष में विभक्त किया है। 'विशेषावश्यकभाष्य' और 'नंदीसूत्र' आदि में मति आदि पांच ज्ञानों का विषय संपेक्ष में चार प्रकार का बताया गया है- द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव । इसी प्रकार का वर्णन 'भगवतीसूत्र' में भी है। 'जाणइ' एवं 'पासइ' की उत्पत्ति के संबंध में विविध मत द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव की अपेक्षा से विषय के वर्णन के सन्दर्भ में 'नन्दीसत्र' में 'जाणई' और 'पासई' इन दो क्रियाओं का प्रयोग हआ है। यहाँ ‘जाणइ' अर्थ जानना और ‘पासई' का अर्थ देखना किया गया है। विशेष रूप से इनका अर्थ करें तो 'जाणई' का अर्थ होता है ज्ञान रूप अर्थात् वस्तु के विशेष स्वरूप को जानना और ‘पासई' का अर्थ होता है दर्शन रूप अर्थात् वस्तु के सामान्य स्वरूप को जानना। जैन दर्शन में पांच ज्ञान, तीन अज्ञान और चार दर्शन-कुल १२ उपयोगों का वर्णन उपलब्ध होता है। पांच ज्ञान के विषय का वर्णन करते हुए आगमकारों ने 'जाणइ' और 'पासई' इन दो क्रियाओं का प्रयोग किया है। अवधिज्ञान और विभंगज्ञान से जानना, अवधिदर्शन से देखना तथा केवलज्ञान से जानना और केवलदर्शन से देखना यह तो सभी विद्वानों में निर्विवाद है। लेकिन मतिज्ञान, श्रुतज्ञान और मनःपर्यवज्ञान के 'जाणइ' और 'पासइ' में मतान्तर मिलते हैं। अत: इनके सम्बन्ध में प्राप्त मतान्तरों की प्रस्तुत शोध-पत्र में समीक्षा की जा रही है। मतिज्ञान की अपेक्षा 'जाणइ' एवं 'पासइ' 'नंदीसूत्र' में वर्णित है- “तत्थ दव्वओ णं आभिणिबोहियणाणी आएसेणं सव्वाइं दव्वाइं जाणइ, ण पासइ।” यहाँ यह जो मतिज्ञान का विषय बताया गया है उसको जिनभद्रगणि स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि
SR No.525091
Book TitleSramana 2015 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages118
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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